याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी कामिनी पटेल की ओर से अधिवक्ता सचिन पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता मेधावी छात्रा रही है। उसने अंग्रेजी विषय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। याचिकाकर्ता ने 2018 में एलिजिबिलिटी टेस्ट भी उत्तीर्ण किया और उसके बाद 14 जून, 2021 को उनका वेरीफिकेशन भी हो गया। इन सबके बावजूद माध्यमिक शिक्षक के पद पर उसे नियुक्ति नहीं दी गई।
इसके विपरीत उसके स्थान पर अपेक्षाकृत कम शैक्षणिक योग्यता वालों को नियुक्ति दे दी गई है। इसीलिए न्यायहित में हाई कोर्ट आना पड़ा। याचिका के साथ सभी आवश्यक दस्तावेज संलग्न किए गए हैं। इससे पूर्व भी तरह के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें याचिकाएं दायर की गईं। बहस के दौरान ओवर क्वालिफिकेशन के आधार पर दरकिनार किए जाने के रवैये को कठघरे में रखा गया। हाई कोर्ट ने मामलों पर सुनवाई के बाद अंतरिम राहत प्रदान की। कई मामलों में अंतिम आदेश भी याचिकाकर्ताओं के हक में आया। अब नया मामला सामने आया है। इस पर जवाब-तलब कर लिया गया है।
अधिवक्ता सचिन पांडे ने दलील दी कि जब कोई अधिक योग्यता रखता है, तो उसे विशेष स्थान मिलना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता। इससे सवाल उठता है कि क्या अधिक योग्यता गुनाह है। इस तरह का रवैया बदला जाना चाहिए।ताजा मामले में एक योग्य उम्मीदवार के साथ सरासर अन्याय हुआ है। इससे उसका मनोबल टूटा है। लेकिन इसांफ की लड़ाई के लिए आगे आया है। ऐसे में उम्मीद है कि उसे राहत अवश्य मिलेगी। इसी भाव के साथ बहस को गति दी गई है।