जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण कुमार शर्मा की एकलपीठ ने निजी भूमि को आम रास्ता निकालने को चुनौती संबंधी मामले में जवाब-तलब कर लिया है। इस सिलसिले में अपर आयुक्त सागर संभाग, अनुविभागीय अधिकारी व तहसीलदार सहित अन्य को नोटिस जारी किए गए हैं।
याचिकाकर्ता राजनगर, छतरपुर निवासी आयशा बेगम, मोहम्मद सलीम, मोहम्मद नईम, मोहम्मद इकबाल, शसीम बेगम व नाज परवीन की ओर से अधिवक्ता शंभूदयाल गुप्ता व कपिल दयाल गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं की पैतृक भूमि होने के बावजूद आसपास के निवासियों से शासकीय आम रास्ता निरूपित करते हुए शिकायतें शुरू कर दीं। आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ताओं ने आम रास्ता बंद कर लिया है। इससे सार्वजनिक आवाजाही प्रभावित हो रही है। इस सिलसिले में तहसीलदार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने बिना दूसरे पक्ष को सुनवाई का अवसर दिए और मौके पर निरीक्षण किए एकपक्षीय आदेश पारित कर दिया। इसके तहत आम रास्ता खोलने का आदेश जारी कर दिया।
इस अनुचित आदेश को अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष चुनौती देने पर तहसीलदार का अनुचित आदेश निरस्त कर दिया गया। इस पर दूसरे पक्ष ने अपर आयुक्त के समक्ष चुनौती दे दी। अपर आयुक्त ने तहसीलदार के पूर्व आदेश को बहाल व अनुविभागीय अधिकारी के आदेश को निरस्त करते हुए आम रास्ता खोलने की व्यवस्था दे दी, इसीलिए हाई कोर्ट आना पड़ा। सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं ने साफ किया कि यह मामला मनमानी से संबंधित है। पडोसियों की शिकायत दुर्भावना से प्रेरित हो सकती है। ऐसे में बिना जांच कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। लेकिन इस मामले में ऐसा ही किया गया। इस वजह से याचिकाकर्ता व उसका पूरा परिवार आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ने विवश हाे गया। उनका काफी समय, धन व मानसिक सुख छिन गया। दूसरे कार्य छोड़कर वे रात-दिन एक ही मुद्दे पर चिंता करने लगे। जरा सी जमीन के लिए इतना परेशान किया जाना ठीक नहीं।