नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मप्र हाई कोर्ट ने न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए ओपन कोर्ट में बेहद तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने सवाल दागते हुए पूछा कि क्या डीपीसी व बीआरसी की पोस्ट में शहद लगा हुआ है, जो कोई इन्हें छोड़ना ही नहीं चाहते। ऐसा लगता है कि पूरी व्यवस्था ही चौपट है। आलम यह है कि मिली जुली सरकार चलाने जैसा रवैया अपना जा रहा है। जो एक बार डीपीसी-बीआरसी बना, वह पद से चिपक जाता है, छोड़ना ही नहीं चाहता।
यह मामला छात्रावास के कामकाज व भुगतान आदि से संबंधित था। शिकायत के अनुसार छात्रावास संचालन प्रक्रिया में अनियमितता अपनाई जा रही है। इसके बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पूर्व निर्देश के पालन में जिम्मेदार अधिकारी के हाजिर होने पर कोर्ट ने प्रश्न-प्रतिप्रश्न किए। साथ ही जवाब से असंतुष्ट होकर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पूरे मामले में घालमेल नजर आ रहा है। यदि एक वार्डन के विरुद्ध शिकायत हुई तो उसे हटाने के बाद दूसरी महिला अधिकारी की नियुक्ति की जिम्मेदारी पूरी क्यों नहीं की गई।
जिला पंचायत, सागर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा इस मामले में पारित किए गए पूर्व आदेश पर भी हाई कोर्ट ने ऐतराज जाहिर किया। साथ ही कहा कि महज समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों को आधार बनाकर कार्रवाई कर दी गई। इससे साफ है कि सीईओ ने अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया। बिना सोचे-समझे गाज गिरा दी। इस तरह का आदेश निरस्त करने लायक है।