
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने मेडिकल बोर्ड को चेतावनी देते हुए कहा है कि भविष्य में गर्भावस्था की समाप्ति से संबंधित मामलों के संबंध में राय देते समय सतर्क रहें। कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के गर्भ की स्थिति के संबंध में दोबारा जांचकर 22 सितंबर तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, मंडला से दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात का मामला हाई कोर्ट भेजा गया। इसमें मेडिकल बोर्ड की राय भी भेजी गई। मेडिकल बोर्ड ने राय देते हुए कहा कि पीड़िता का गर्भ 27 हफ्ते से भी अधिक का है। पीड़िता की जान को खतरा है, इसलिए गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट ने रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया कि उसमें पीड़िता के स्वास्थ्य की स्थिति का जिक्र नहीं है।
इसके अलावा वो कारण भी नहीं लिखा जिस कारण गर्भपात में जोखिम है। मेडिकल बोर्ड ने रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया कि पीड़िता का किस प्रकार का परीक्षण किया गया है। दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात के मामलों के लिए हाई कोर्ट ने पूर्व में दिशा निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड को उक्त दिशा निर्देशों का अक्षरश: पालन करना अनिवार्य है। हाई कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड को इस तरह की अस्पष्ट राय देने से बचना चाहिए।