जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश की नाफरमानी के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ जबलपुर की रिज रोड खोलकर आगामी सुनवाई 27 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दे दिए।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए उक्त व्यवस्था दी। इससे पूर्व जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी मॉर्निंग वॉक क्लब के सदस्य अनिल साहनी व दीपक ग्रोवर की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट ने अपने पूर्व निर्देश में साफ कर दिया था कि कोविड का असर खत्म होने के मद्देनजर रिज रोड खोल दी जाए। इसके बावजूद लंबा समय गुजर गया लेकिन रिज रोड का सिविल लाइंस की तरफ का गेट अब तक बंद है। बावजूद इसके कि जबलपुर कलेक्टर के अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जबलपुर में वर्तमान में कोविड का महज एक मरीज है। ऐसे में रिज रोड खोली दी जानी चाहिए। ऐसा न किए जाने से धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के लॉ स्टूडेंट्स को आने-जाने में लंबा घुमावदार रास्ता तय करना पड़ रहा है। हाई कोर्ट ने इन तर्कों को सुनने के बाद नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्र सरकार के अधिवक्ता विक्रम सिंह को पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत कराने की जिम्मेदारी सौंप दी।
सुतली बम को सुअर मार बम बताकर दर्ज कराई झूठी रिपोर्ट : प्रथम श्रेणी न्याययिक दंडाधिकारी अरविंद सिंह की अदालत ने सुतली बम को सुअर मार बम बताकर रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के मामले में आरोपित भानतलैया, जबलपुर निवासी कृष्णा व सचिन की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। आवेदकों की ओर से अधिवक्ता मनीष मेश्राम व दिलीप शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि एक आरोपित का हाथ कटा है, जबकि दूसरा छात्र है। शिकायत दर्ज कराने वाले पक्ष ने दुर्भावनापूर्वक मामला कायम कराया है। यही वजह है कि आवेदकों ने भी काउंटर केस फाइल किया। घटना स्थल पर एक सुतली बम फटा था, जिसे घातक सुअर मार बम निरूपित करते हुए पुलिस को झूठी जानकारी देकर अपराध दर्ज कराया गया। यदि जमानत नहीं मिलती है, तो आवेदकों का भविष्य खराब हो जाएगा। कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर जमानत अर्जी मंजूर कर ली।