जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा स्नातकोत्तर परीक्षा की तिथि बढ़ाने के निर्णय से मेडिकल छात्र आक्रोशित हो उठे हैं। उनका आरोप है कि विश्वविद्यालय के अधिकारी उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा छठवीं बार परीक्षा तिथि में संशोधन किया गया। विदित हो कि वर्ष 2018 बैच के स्नातकोत्तर और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की परीक्षा विश्वविद्यालय नहीं करा पाया है। जिसके बाद चार माह के भीतर पांच बार स्नातकोत्तर परीक्षा की तिथि में संशोधन किया गया।
इस निर्णय से प्रदेश भर में चिकित्सा छात्र-छात्राएं परेशान हो रहे हैं। पूर्व में दो मार्च को आदेश जारी किया गया था कि परीक्षाएं चार मई से ली जाएं। इसके बाद 27 अप्रैल को 10 जून से परीक्षा कराने का निर्देश जारी हुआ। तत्पश्चात आठ जून को ही परीक्षा तिथि बढ़ाकर आठ जुलाई से कर दी गई। तब भी परीक्षा नहीं हो पाई। जिसके बाद 26 जुलाई से परीक्षा तिथि जारी की गई। इस बार 24 जुलाई को आदेश जारी किया गया है कि परीक्षा तीन अगस्त से होगी। इस मामले में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. पंकज सिंह का कहना है कि विश्वविद्यालय के अधिकारी मनमाना रवैया अपना रहे हैं। छात्रों को मानसिक रूप से प्रताडि़त कर विश्वविद्यालय आंदोलन के लिए मजबूर कर रहा है। विदित हो कि चिकित्सा विश्वविद्यालय में परीक्षा में पास फेल कराने की कूटरचना सामने आ चुकी है। परीक्षा कापियों को जलाने अथवा उन्हें अन्य तरीके से नष्ट करने की कोशिश की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर भी विश्वविद्यालय पर आरोप लगते रहे हैं। चिकित्सा छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय की मनमानी के चलते उन्हें अपने भविष्य को लेकर चिंता होने लगी है।