नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में तैनात महिला सिविल जज अदिति शर्मा ने हाई कोर्ट मप्र के मुख्य न्यायाधीश को अपना त्यागपत्र भेजा है। त्यागपत्र में उन्होंने इस बात पर क्षोभ जताया है कि जिस पर उन्होंने उत्पीड़न और कदाचार का आरोप लगाया था, उन्हें मप्र हाई कोर्ट का जज नियुक्त कर दिया गया है।
शहडोल की जूनियर डिवीजन सिविल जज अदिति शर्मा ने अपने त्यागपत्र में लिखा कि मैं न्यायिक सेवा से इस्तीफा दे रही हूं, इसलिए नहीं कि मैंने संस्थान को विफल किया, बल्कि इसलिए कि संस्थान ने मुझे विफल किया। गैर-जवाबदेह शक्तियों वाले एक वरिष्ठ न्यायाधीश के खिलाफ बोलने का साहस किया, उन्होंने वर्षों तक लगातार उत्पीड़न किया। हमें उम्मीद थी कि न्याय नहीं तो कम से कम सुनवाई तो हो ही जाएगी।
अपने पत्र में, उन्होंने दावा किया कि जिस व्यक्ति ने मेरे दुख की साजिश रची, उससे पूछताछ नहीं की गई, बल्कि उसे पुरस्कृत किया गया, उसकी सिफारिश की गई, उसे पदोन्नत किया गया। सम्मन के बजाय उसे एक उच्च पद दिया गया। न्यायिक अधिकारी ने दावा किया कि उन्होंने न्यायाधीश पर दस्तावेज़ी तथ्यों के आधार पर आरोप लगाए थे, लेकिन कोई जांच नहीं हुई, कोई नोटिस नहीं दिया गया, यहां तक कि उनसे कोई स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा गया। यह न्याय शब्द का क्रूर मजाक है।
उन्होंने लिखा है कि मैं बदला नहीं ले रही थी। मैं न्याय के लिए रो रही थी- सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि उस संस्था के लिए जिसे मैंने संजोया और जिस पर मैंने तब भी विश्वास किया जब उसने मुझ पर विश्वास नहीं किया। मैं अब ऐसे ज़ख्मों के साथ जा रही हूं जिन्हें कोई बहाली, कोई मुआवज़ा, कोई माफ़ी कभी नहीं भर पाएगी।
उन्होंने कहा कि वह अदालत के एक अधिकारी के रूप में नहीं, बल्कि इसकी चुप्पी की शिकार के रूप में विदा ले रही हैं। उन्होंने लिखा कि मैं इस संस्था को बिना किसी पदक, बिना किसी उत्सव और बिना किसी कड़वाहट के छोड़ रही हूं, सिर्फ़ इस कड़वे सच के साथ कि न्यायपालिका ने मुझे निराश किया।
बता दें कि महिला जज द्वारा तत्कालीन जिला जज पर आरोप लगाए जाने के बाद शासन ने छह जजों को प्रदर्शन संतोषजनक न होने के आरोप में बर्खास्त कर दिया था। एक अगस्त, 2024 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ ने चार न्यायिक अधिकारियों ज्योति वरकड़े, सोनाक्षी जोशी, प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का निर्णय लिया, जबकि अन्य दो, अदिति शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा। हालांकि, 28 फरवरी 2025 को शीर्ष अदालत ने अदिति शर्मा की बर्खास्तगी को मनमाना और अवैध करार दिया और उन्हें बहाल कर दिया।