जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। नईदुनिया गुरुकुल की कहानियां बीते कई सालों से विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा देती आ रही है। कोरोना काल के पहले तो बच्चों को विद्यालय में गुरुकुल की कहानियां नईदुनिया द्वारा बुलाए गए विशेषज्ञ सुनाया करते थे लेकिन कोरोना के कारण बीते साल से हम लोग कहानियों को आनलाइन ही बच्चों तक पहुंचा रहे हैं। विद्यार्थियों को कुछ भी सिखाने का, समझाने का कहानी एक सहज माध्यम है। जिनके जरिए रोचक अंदाज में गंभीर बातों को समझाया जा सकता है। सबसे अच्छी बात कि यदि कहानी के रूप में विद्यार्थियों को कुछ समझाओ या बताओ तो उन्हें वह बात याद भी रहती है।
हमारी प्राचीन संस्कृति में गुरुकुल में जो पढ़ाई होती थी वह कहानियों पर ही आधारित थी। इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए नईदुनिया गुरुकुल की कहानियां आज की पीढ़ी को शिक्षित कर रही हैं। नईदुनिया गुरुकुल में इस बार अच्छाई की समझ पर आधारित है। जिसमें देश से हम और हमसे देश बनता है का संदेश भी विद्यार्थियों को दिया जा रहा है। इसके साथ ही इस वर्ष हम सभी नागरिक अपने देश की स्वतंत्रता का 75वां वर्ष यानी अमृत महोत्सव मना रहे हैं यह बात भी कहानी के जरिए विद्यार्थियों तक पहुंचाई जा रही है। विषय स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन के अंतर्गत कहानी- हम तो चले घूमने की शुरुआत हर पढ़ने वाले की अपनी सी कहानी है। कोरोना काल में सभी अपने-अपने घरों में बंद थे। न कहीं आना न किसी से मिलना-जुलना ही। विद्यालय, महाविद्यालय, कार्यालय सभी कुछ बंद। इस बंद माहौल में यह भी सच है कि लोगों को प्रकृति के करीब जाने का अवसर मिला। लोगाें ने प्रकृति को और करीब से जाना-समझा जो कि कहानी में भी बताया गया है कि किस तरह मीता और उसकी मम्मी चांद और सूरज के बारे में बातें कर रहे हैं।
यह सारा कुछ संभव कोरोना काल में ही हो सका है। नहीं तो आम दिनों में तो लोगों के पास समय ही नहीं था कि वो चांद-सूरज या प्रकृति के बारे में सोच सके। जब मीता के परिवार ने शिल्पी आंटी के साथ कही घूमने जाने की योजना बनाई तो ऐसी बातें भी हर घर में हुईं। कहानी यहां सिखाती है कि स्थितियां चाहे जैसी हों सकारत्मक सोच रखते हुए अच्छा समय आने का इंतजार करना चाहिए। कोरोना काल ने सभी काे यही शिक्षा दी है। बातों ही बातों में मीता और रोहन ने इसरो, कल्पना चावाला, सुनीता विलियम्स के नाम लेकर बच्चों का सामान्य ज्ञान भी बढ़ाया।
जब सभी वृंदावन पहुंचे तब वृंदावन की खूबसूरती का कहानी में मनोहारी वर्णन हर किसी को लुभाता है। सबसे अहम बात कि वृंदावन में रहने वाली विधवाओं को देखकर मीता के परिवार ने जिस तरह उसकी मदद करने की बात कही यह विद्यार्थियों के लिए बड़ी सीख है। विद्यार्थियों ही क्या अन्य सभी को कहानी शिक्षा देती है कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाएं।
सावित्री बाई फुलू जैसे समाज सुधारकों के बारे में जाने और उनसे प्रेरणा लें कि समाज के पिछड़े व सताए हुए लोगों के लिए क्या अच्छे प्रयास किए जा सकते हैं। हमारे देश की आजादी के समय स्वतंत्रता के सेनानियों ने देश के लिए कई सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी विद्यार्थियों की ही है। कुरीतियों को दूर करना भी एक जिम्मेदारी है। जिसे सभी को अपने आसपास फैली कुरीतियों को दूर करने में सहयेाग करके निभाना चाहिए। यही सच्ची देशसेवा है।
प्रभा मिश्रा, प्राचार्य, महारानी लक्ष्मी बाई कन्या विद्यालय, जबलपुर