बक्सवाहा मामले में एस्सेल माइनिंग कंपनी एनजीटी में नहीं पेश कर पाई जवाब
प्रदेश के बहुचर्चित बक्सवाहा मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नोटिस का एस्सेल माइनिंग कंपनी अब तक जवाब पेश नहीं कर पाई है।
By Ravindra Suhane
Edited By: Ravindra Suhane
Publish Date: Sat, 28 Aug 2021 02:29:31 PM (IST)
Updated Date: Sat, 28 Aug 2021 02:42:01 PM (IST)

जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रदेश के बहुचर्चित बक्सवाहा मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नोटिस का एस्सेल माइनिंग कंपनी अब तक जवाब पेश नहीं कर पाई है। जनहित याचिकाकर्ता ने इस रवैये पर आपत्ति जताई। जिसे गंभीरता से लेकर एनजीटी ने हर हाल में जवाब पेश करने की हिदायत दी है। मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। राज्य शासन को भी पूर्व में जारी नोटिस का जवाब समय सीमा में पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। एनजीटी ने साफ किया है कि इस तरह बार-बार समय लेने से मामला बेवजह लंबा खिंचता है। इससे इंसाफ की मूल अवधारणा को नुकसान पहुंचता है।
एनजीटी के जस्टिस शिवकुमार सिंह व एक्सपर्ट मेम्बर अरुण कुमार वर्मा की पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से पक्ष रखा गया। उन्होंने दलील दी कि बक्सवाहा के जंगल में हीरा खदान के लिए लाखों पेड़ काटे जा रहे हैं। एनजीटी ने एक जुलाई को आदेश दिया कि जब तक फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं हो जाता, तब तक एक भी पेड़ नहीं काटे जाए। इसके साथ ही एनजीटी ने चार सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रभात यादव ने आपत्ति दर्ज कराई कि पूर्व में एस्सेल माइनिंग कंपनी को शपथ-पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया था, लेकिन कंपनी ने अभी तक जवाब पेश नहीं किया है। एनजीटी ने याचिका की प्रति पुन: अनावेदकों को दिए जाने का निर्देश देते हुए एस्सेल माइनिंग कंपनी और राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए 27 अक्टूबर तक की मोहलत दे दी है। एनजीटी ने इस मोहनत का सदुपयोग करने के निर्देश कड़ाई से दिए हैं।