जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। नेशनल लोक अदालत के दौरान मनोवैज्ञानिक तरीके से दी गई समझाइश का असर यह हुआ कि कई परिवार टूटने से बच गए। एक-दूसरे की भावनाओं को गहराई से समझने की वजह से पति-पत्नी के बीच आपसी रिश्ता एक बार फिर से गहरा हो गया। अंजली शाह जेएमएफसी, जबलपुर के न्यायालय में एमजेसी के एक प्रकरण में धारा 12 घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण अधिनियम के तहत एक्ट के अंतर्गत न्यायालय में अक्टूबर 2020 से लंबित था जिसमें दोनों पक्षकार विगत एक साल से अलग-अलग निवास कर रहे थे एवं उनका एक आठ वर्ष का पुत्र था। लोक अदालत में उपस्थित होने हेतु नोटिस से पक्षकारों को सूचित कर खण्डपीठ के समक्ष बुलाया गया था। खण्डपीठ के पीठासीन अधिकारी व सुलहकर्ता सदस्यों के प्रयास से दोनों पक्ष साथ रहने के लिए तैयार होकर खुशी-खुशी एक साथ घर गए जिससे उनके अभिभावकों के मुख पर संतोष साफ दिखाई दे रहा था।
कुटुम्ब न्यायालय में 21 मामलों में राजीनामा : कुटुम्ब न्यायालय, जबलपुर के कुल 21 मामलों में राजीनामा की प्रक्रिया पूर्ण की गई। कुटुम्ब न्यायालय के प्रकरणों के निराकरण के लिए अमिताभ मिश्रा, विधि सक्सेना व शिवकांत पांडे प्रधान न्यायाधीश की कुल तीन खण्डपीठों का गठन किया गया था।
साथ-साथ रहने के लिए जोड़ों को रवाना किया : सुनवाई के दौरान काउंसिलिंग करते हुए कहा गया कि जिंदगी हमेशा एक सी नहीं रहती। बदलाव जीवन का नियम है। कुछ बदलाव लोगों को सहजता से स्वीकार होते हैं। वहीं कई बदलावों के परिणामस्वरूप व्यक्ति विचलित हो जाता है। परिस्थितियों के बदलने पर अपने व्यवहार में परिवर्तन करना आवश्यक होता है। नेशनल लोक अदालत के माध्यम से परिवार न्यायालय अपने इसी प्राथमिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करता है। यद्यपि मध्यस्थता के माध्यम से भी परिवारों को जोड़ने का तथा एकजुट करने का कार्य अपनी निरंतरता से चलता रहता है। पति-पत्नी के मध्य आपसी राजीनामे से स्वेच्छापूर्वक किए गए प्रयासों तथा न्यायालय की समझाइश से कई जोड़ों को उनके एक साथ निवास करने की स्थिति उत्पन्न हुई। लोक अदालत के चलने के दौरान ही न्यायालय से पक्षकारों को उनके साथ-साथ रहने के लिए जोड़ों को रवाना किया गया।
वृद्ध भीकमलाल को मिले 12 लाख 50 हजार, अब हो सकेगा बेहतर इलाज : उन्नीसवें जिला न्यायाधीश जीसी मिश्रा की खंडपीठ में मोटर दुर्घटना में पत्नी की मृत्यु होने से परेशान वृद्ध भीकमलाल काफी बीमार चल रहा थे। कोरोना काल में उसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी। दोनों पक्षों को समझाने के फलस्वरूप राजीनामा हो गया। वृद्ध भीमकाल का चेहरा उस समय प्रसन्नता से खिल गया जब उसे लगभग 12 लाख 50 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त हुई उसने भावुक होकर व्यक्त किया कि अब उसका इलाज आसानी से हो जाएगा। इस राजीनामा में आवेदक के अधिवक्ता राजेश राय व बीमा कंपनी की अधिवक्ता अर्पणा विज की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
चैक बाउंस सहित अन्य मामले ऐसे निपटे : लोकोपयोगी सेवाओं की लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी मनीष सिंह ठाकुर के समक्ष बीएसएनएल कंपनी के छह प्रकरणों का निराकरण किया करके 24 हजार 600 रुपये की वसूली की गई। इसी तरह नीलिमा देवदत्त की खण्डपीठ में राशि 15 लाख की चैक बाउंस का मामला था। खण्डपीठ के पीठासीन अधिकारी एवं सुलहकर्ता सदस्यों के विशेष प्रयास से उक्त प्रकरण को आपसी सुलह समझौता से निपटारा किया गया। इसके अतिरिक्त संबंधित खण्डपीठ में 100 से अधिक एनआइ एक्ट के मामलों का निराकरण किया गया।
जिला सत्र न्यायालय में कुल 2888 प्रकरण निराकृत, 35 करोड़ 83 लाख 55 हजार 038 रुपये का अवार्ड पारित : जिला सत्र न्यायाधीश नवीन कुमार सक्सेना के मार्गदर्शन में जिला न्यायालय जबलपुर, तहसील न्यायालय सिहोरा व पाटन तथा कुटुम्ब न्यायालय जबलपुर में 10 जुलाई को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसके जरिये कुल 2888 प्रकरणों का निराकरण करते हुए 35 करोड़ 83 लाख 55 हजार 038 रुपये का अवार्ड पारित हुआ। प्रकरणों के निराकरण के लिए कुल 67 खण्डपीठों का गठन किया जाकर न्यायालयों में लंबित 1357 प्रकरणों एवं 1531 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण किया गया। आपराधिक शमनीय प्रकृति के 130 प्रकरण, धारा 138 एनआइ एक्ट के 242 प्रकरण, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के 662 प्रकरण, विशेष विद्युत न्यायालयों में लंबित विद्युत के 147 प्रकरण, पारिवारिक मामलों के 65 प्रकरण, सिविल मामलों के 56 प्रकरणों का निराकरण किया गया। इस लोक अदालत में धारा 138 एनआइ एक्ट में पांच करोड़ 90 लाख 34 हजार 689 रुपये के समझौता राशि के निर्णय किए गए, मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के प्रकरणों में 23 करोड़ 94 लाख 10 हजार 550 रुपये के अवार्ड राशि पारित की गई। विद्युत के न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में 32 लाख 23 हजार 926 रुपये की राजस्व वसूली हुई तथा विद्युत के प्रीलिटिगेशन के 1123 निराकृत प्रकरणों में 01 करोड़ 51 लाख 34 हजार 964 रुपये की राजस्व वसूली हुई। इसी प्रकार बैंक रिकवरी के 249 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में निराकरण पश्चात एक करोड 77 लाख 44 हजार 700 रुपये की समझौता राशि लोक अदालत में प्राप्त हुई।