
जबलपुर। शहर के मध्य सिविक सेंटर स्थित मां बगलामुखी सिद्धपीठ मंदिर में नवरात्र पर्व पर नौ दिन अनुष्ठान चलता है। पुजारी ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज द्वारा चारों पहर विशेष पूजन किया जा रहा है। नवरात्रि के दिनों में यहां उत्सवी माहौल रहता है।
द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा स्थापित बगलामुखी सिद्धपीठ की यज्ञ शाला में मनोकामना अखंड ज्योति कलश की स्थापना भक्तों द्वारा कराई जाती है।
1100 कलशों की स्थापना शहर और शहर से बाहर रहने वाले भक्तों द्वारा कराई जाती है। 51 वेदपाठी वैदिक ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा शप्तसती का पाठ किया जाता है। भगवती का प्रात:काल अर्चन एवं विशेष श्रंगार किया जाता है। प्रतिदिन रात 9 बजे मां बगलामुखी की महाआरती की जाती है। इसके अलावा वर्ष भर धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
कार्तिक माह के बाद शत्रुनाशक यज्ञ, पौष में सूर्य अर्चन, वैशाख में पंच महाआरती, सावन में शिव महापुराण और शिवलिंग निर्माण और श्रीमद् भागवत कथा के साथ ही गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में शामिल होने हर वर्ग के लोग पहुंचते हैं। मंदिर की खासियत यह है कि यह पूरी तरह दक्षिण भारतीय शैली पर तैयार किया गया है। जिसमें नवग्रह की स्थापना भी की गई है।
पुजारी ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज ने बताया कि मंदिर का भूमिपूजन 18 जुलाई 1999 को हुआ और 7 फरवरी 2000 को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने मां पीतांबरा की स्थापना की। इसके दूसरे दिन ही शंकराचार्य आश्रम का शुभारंभ हुआ।
शत्रु संहारक मां बगलामुखी के दर्शन करने शहर के अलावा अन्य शहरों से भी भक्त पहुंचते हैं। नौ दिन यहां मेला भरता है। हालांकि 1973 से पहले से यहां संस्कृत विद्यालय संचालित हो रहा है। इससे पहले यहां दंडी स्वामी क्रोधानंद भगवती बगलामुखी माता की आराधना करते थे। उसी आराधना स्थल पर वर्तमान में मां बगलामुखी की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर परिसर में ही स्वामी क्रोधानंद की समाधि इस बात का प्रमाण है।
इस मंदिर के पुजारी सागर नायक ने बताया कि नवरात्र के दौरान यहां खासी भीड़ रहती है। मां के भक्त प्रकाश शर्मा के अनुसार मंदिर की महिमा निराली है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।