...
जबलपुर। नईदुनिया रिपोर्टर
चोट लगने पर यदि आपके शरीर से निकलने वाला खून कुछ मिनट बाद जमता नहीं है तो आप इसे गंभीरता से लें। चोट लगने पर बहने वाला खून 2 से 8 मिनट तक के समय में थक्का बन जाना चाहिए, लेकिन यदि आपके साथ ऐसा नहीं होता है तो यह हीमोफीलिया बीमारी हो सकती है। हीमोफीलिया को ब्रिटिश रॉयल डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अनुवांशिक बीमारी है, इसमें खून का थक्का बनने की प्रक्रिया बाधित होती है। इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 अप्रैल को वर्ल्ड हीमोफीलिया डे मनाया जाता है। यह बीमारी अधिकतर पुरुषों में पाई जाती है, जबकि महिलाएं इस बीमारी की वाहक होती हैं। इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए जागरूकता ही उनका इलाज है। यदि इसमें कोई लापरवाही बरती गई तो मरीज की जान भी जा सकती है।
शहर में 128 मरीज
हीमोफीलिया में मरीज में खून का थक्का जमाने वाला प्रोटीन फैक्टर 8 नहीं बनता। 10 हजार में एक व्यक्ति को यह बीमारी होती है। इसमें व्यक्ति शहर में इस बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या 128 है, जबकि प्रदेश में 2370 हैं। ये वे मरीज है जिनमें हीमोफीलिया को डायग्नॉस किया जा चुका है। इस बीमारी से पीड़ित शख्स किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो आसानी से उसका खून बहने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि उसके जख्म से निकलने वाले खून का थक्का नहीं जमता। ऐसे में लगातार खून बहने से किसी की भी मौत हो सकती है। इसके अलावा कई बार लीवर, किडनी, मसल्स जैसे इंटरनल अंगों से भी रक्तस्त्राव होने लगता है।
ये हैं लक्षण
- चोट लगने पर लंबे समय तक खून बहना।
- शरीर के किसी भी भाग पर बार-बार नीले चकत्ते पड़ना।
- सूजन के स्थान पर गर्माहट और चिनचिनाहट महसूस होना।
- बच्चों के मसूढ़ों अथवा जीभ में चोट लगने पर खून का लंबे समय तक रिसते रहना।
- शरीर के विभिन्ना जोड़ों, विशेषकर घठुटनों, एड़ी, कोहनी आदि में बार-बार सूजन आना।
हीमोफीलिया है ब्रिटिश रॉयल डिजीज
ब्रिटिश रॉयल डिजीज हीमोफीलिया के बारे में उस वक्त पता चला था, जब ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के वंशज एक के बाद एक इस बीमारी की चपेट में आने लगे। शाही परिवार के कई सदस्यों के इस बीमारी से पीड़ित होने के कारण ही इसे शाही बीमारी कहा जाने लगा।
फैक्टर 8 और 9 की कमी है हीमोफिलिया
हीमोफीलिया दो प्रकार का होता है। इनमें से एक हीमोफीलिया ए और दूसरा हीमोफीलिया बी है। हीमोफीलिया बी है। हीमोफीलिया ए सामान्य रूप से पाई जाने वाली बीमारी है। इसमें खून में थक्के बनने के लिए आवश्यक फैक्टर 8 की कमी हो जाती है। हीमोफीलिया बी में खून में फैक्टर 9 की कमी हो जाती है। पांच हजार से दस हजार पुरुषों में से एक के हीमोफीलिया ए ग्रस्त होने का खतरा रहता है, जबकि 20 हजार से 34 हजार पुरुषों में से एक के हीमोफीलिया बी ग्रस्त होने का खतरा रहता है। रक्त का थक्का जमने के लिए 13 फैक्टर की जरूरत होती है, इनमें से फैक्टर 8 व 9 की कमी होमीफीलिया की निशानी है।
जागरूकता ही एकमात्र उपाय
हीमोफीलिया एक ऐसी बीमारी है कि जिसे पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता है। इसके प्रति लोगों को जागरूक किया जा सकता है। हीमोफीलिया की जांच विवाह पूर्व ही करा लेनी चाहिए। महिलाएं इसकी वाहक होती हैं। हीमोफीलिया के मरीजों को वाहन न चलाने की सलाह दी जाती है, ताकि वे किसी दुर्घटना का शिकार न हो सकें। इसके साथ ही उन्हें सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। शहर में इसके 128 डायग्नॉज मरीज है। इस बीमारी से ग्रसित लोगों के खून में थक्का जमने में आधा घंटा लग सकता है या थक्का जमे ही ना। इन परिस्थितियों में लोगों को तुरंत ही जांच करानी चाहिए।
डॉ.संजय मिश्रा, पैथालॉजिस्ट विशेषज्ञ