नईदुनिया, जबलपुर (Jabalpur News)। रामपुर के गणेश अनीता विहार कालोनी में एक परिवार ने घर में एक दर्जन से ज्यादा श्वान को पालतू बना रखा है। इन श्वानों को खुले में छोड़ दिया जाता है जिससे ये श्वान सड़क, उद्यान में गंदगी फैला रहे हैं। इतना ही बच्चों से लेकर बड़ों पर झपड़ पड़ते हैं। कई बार लोग चोटिल हो चुके हैं।
कालोनी वालों का जीना मुहाल कर दिया है। इस समस्या को लेकर क्षेत्रीयजनों ने नगर निगम की जन सुनवाई में गुहार लगाई। कालोनी के लोगों ने कहा कि गुप्ता परिवार ने इतनी बड़ी संख्या में जो कुत्ते पाल रखे हैं। इनके रजिस्ट्रेशन की जांच की जाए।
अवासीय क्षेत्र में सभी की शांति भंग होने को देखते हुए कुत्तों को वहां से हटवाया जाए। इस दौरान आवेदक एसएन द्विवेदी, अनिल खरे, नफीस खान, धीरेश सक्सेना, संतोष चौबे मौजूद थे।
वहीं वर्ष दर वर्ष सड़कों पर इनकी संख्या व खौफ बढ़ता जा रहा है। बीते चार माह के भीतर दो हजार से ज्यादा श्वानों के बधियाकरण की जानकारी अधिकारी दे रहे हैं। इसके बाद भी हालत यह है कि सड़क, गली, मोहल्लों में आवारा श्वानों की फौज राहगीरों पर हमला कर रही है। सरकारी अस्पतालों में हर दिन 90 से 95 से ज्यादा लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं।
श्वानों के बधियाकरण के बाद श्वानों की बढ़ती संख्या बधियाकरण अभियान पर प्रश्नचिंह लगा रही है। क्योंकि नगर निगम पिछले 12 वर्षों से दो संस्थाओं का ठेका ही देता आ रहा है। पिछले साल नगर निगम ने ठेका बदला है। वर्तमान में मां बगलामुखी सेवा समिति नाम से एक संस्था ही नर और मादा श्वानों का बधियाकरण कर रही है। संस्था का दावा है कि हर दिन 15 से 20 और महीने भर में करीब 200- 250 श्वानों का बधियाकरण किया जा रहा है। ये अलग बात है कि शहर में श्वानों की संख्या घटने की बजाये तेजी से बढ़ रही है।
नगर निगम द्वारा श्वानों की संख्या में कमी लाने जिस तरह से बधियाकरण अभियान चलाए जा रहे अभियान में गड़बड़ी का मुद्दा नगर निगम सदन की बैठक भी उठ चुका है। जिसमें तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल ने बधियाकरण के नाम पर की जा रही गड़बड़ी पर सदन का ध्यान आकृष्ट कराया था। इसके बाद इसमें सुधार लाने की बात कही गई थी।
नगर निगम पिछले 13 वर्षों में अब तक लगभग साढे तीन करोड़ रुपये से ज्यादा रकम खर्च कर चुका है। फिर भी इतनी तादात कम नही हो रही है। नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि श्वानों का बधियाकरण तो किया जा रहा है।
एक बार में मादा श्वान आठ से 10 पिल्लों को जन्म देती है। जिसके कारण इनकी संख्या कम नहीं हो पा रही है। जबकि जानकारों का कहना है कि बधियाकरण में ही गफलत की जा रही है।