CBI Investigation in Jabalpur: जबलपुर,नईदुनिया प्रतिनिधि। सैन्य अफसरों ने ठेकेदारों पर कुछ ज्यादा ही दरियादिली दिखाई। गैरीसन इंजीनियरिंग(पूर्व) और मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के अधिकारियों ने फर्मों को बिना काम के तो भुगतान किया ही, लेकिन कई ऐसे भुगतान भी कर दिया, जो तय लागत से ज्यादा थे। करीब लागत से दस प्रतिशत अधिक तक भुगतान होना पाया गया है। इस मामले में सीबीआई जांच तेजी से की जा रही है।
दरअसल ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के मामले में अफसरों की मनमानी उस वक्त सामने आई जब शिकायत के बाद विभागीय जांच के लिए सैन्य अफसरों की जांच कमेटी बनाई गई। जांच कमेटी में लेफ्टिनेंट कर्नल मोहन सिंह, एसओ-वन (प्रशासन), मुख्यालय सीई जबलपुर समेत अन्य अधिकारी शामिल थे। अफसरों ने जांच के दौरान निविदाओं दस्तावेजों, अनुबंध समझौतों और माप पुस्तकों (एमबी) की जांच की। उन जगहों का भी निरीक्षण किया, जहां फर्मों द्वारा काम किए जाने का दावा किया गया था। सीबीआई ने उक्त दस्तावेजों को भी जब्त किया है, उनकी भी जांच की जा रही है।
जानकारी के अनुसार गैरीसन इंजीनियरिंग(पूर्व) और मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के तत्कालीन गैरीसन इंजीनियर बीएम वर्मा, वर्तमान गैरीसन इंजीनियर धीरज कुमार, सहायक गैरीसन इंजीनियर राजीव भारती, मिन्टू राज, सहायक गैरीसन इंजीनियर केएन विश्वकर्मा, जूनियर इंजीनियर रत्नेश कुमार त्रिपाठी, जेई मुकेश तिवारी, जेई मनोज कुमार ने ने वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर 2022-2023 तक आदर्श नगर नर्मदा रोड जबलपुर के जितेन्द्र सिंह, तिलहरी छग्गर फार्म के एके बिल्डर्स और विजय नगर की आरके ट्रांसफार्मर समेत उत्तर प्रदेश सोनभद्र की शिवालिक इंजीनियरिंग वक्र्स, पालम कालोनी दिल्ली की स्काईलाइन एनकान, पश्चिम दिल्ली की रस्तोगी बिल्डर्स, डायमंड इलेक्ट्रिकल और गौतम इलेक्ट्रिक वक्र्स, उत्तर प्रदेश वाराणसी की मंगलम ट्रेडर्स को रक्षा कार्यालयों और आवासीय परिसरों में सिविल, इलेक्ट्रिकल और मेकेनिकल के कुल 59 ठेके दिए। ठेकेदारों ने काम पूरा नहीं किया। इसके बावजूद सैन्य इंजीनियरिंग सेवा ने बिना जांच और काम पूरा हुए फर्मों को 16 करोड़ 24 लाख का भुगतान कर दिया था। सीबीआई ने मामले में अफसरों और ठेकेदारों पर प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।