नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। भोपाल के बहुचर्चित कथित 90 डिग्री रेलवे ओवर ब्रिज के मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की ठेका कंपनी को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के विभाग के आदेश को तत्काल रद करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह टिप्पणी की है कि बलि का बकरा बाहर हो गया तो अब किसी न किसी का सिर तो कटेगा ही। मामले की सुनवाई 28 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी गई है।
दरअसल, पुल निर्माण की कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने ठेका मेसर्स पुनीत चड्ढा को दिया था। इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्मों पर 90 डिग्री पुल का मामला चर्चित होने के बाद विभाग ने अपने दो मुख्य अभियंताओं समेत सात अभियंताओं को निलंबित कर दिया था। ठेका कंपनी मेसर्स पुनीत चड्ढ़ा को ब्लैकलिस्ट किया था। इस कार्रवाई को ठेका कंपनी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ता का दावा है कि जो ड्राइंग पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने जारी की, निर्माण उसी के मुताबिक हुआ है। विगत 25 अगस्त को प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भोपाल के प्रोफेसर से पुल की तकनीकी जांच कराने का आदेश दिया था।
जांच में पुल को 90 डिग्री के बजाय 118 से 119 डिग्री के बीच बताया गया। इसके बाद कोर्ट ने ठेका कंपनी पर कार्रवाई करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। गुरुवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सिद्धार्थ कुमार शर्मा व प्रवीण दुबे ने दलील दी कि ब्रिज निर्माण 90 डिग्री मोड़ का होने की बात इंटरनेट मीडिया में सामने आने पर दुर्घटना होने की आशंका का हल्ला मचने लगा।
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इसके बाद सरकार ने जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। जांच कमेटी ने पाया कि ब्रिज के जिस हिस्से में मोड़ बना है, उसके नीचे से रेल पटरी निकल रही है। राज्य सरकार तथा रेलवे विभाग में सामंजस्य की कमी थी। इसके अलावा ब्रिज के खंबे निर्धारित दूरी पर नहीं लगाए गए हैं। जांच कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर सुनवाई का अवसर प्रदान किए बिना ही उनकी कंपनी को सरकार की ओर से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। ब्रिज का मोड 90 डिग्री नहीं बल्कि 118-119 डिग्री है।