जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। सरकारी अस्पतालों की नर्से मांग पूरी होने तक हड़ताल पर डटी हुई हैं। मेडिकल कॉलेज परिसर में नर्सेस धरने पर डंटी हुई हैं। नर्सेस एसोसिएशन के बैनर तले धरना-प्रदर्शन जारी है। लगातार नर्सेस की हड़ताल से मेडिकल, विक्टोरिया, एल्गिन अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। मरीजों की सेवा और देखभाल में मुश्किलें बढ़ गई है। वार्ड में भर्ती मरीजों को समय पर दवा मिलने में भी समस्या आ रही है। कई मरीज अव्यवस्था के चलते मजबूरी में निजी अस्पतालों का रूख कर रहे हैं। इधर नर्सेज को हड़ताल से वापस लाने छात्रावास से बाहर करने का आदेश जारी हुआ। यह खबर पाकर एनएसयूआइ कार्यकर्ताओं ने मेडिकल कॉलेज डीन का दफ्तर घेर लिया। देर शाम आदेश निरस्त करवाने के बाद ही डीन को बाहर जाने दिया।
कोरोना संक्रमण काल में भर्ती संविदा नर्सेस की दो दिन पहले सेवा समाप्त होने और फिर बड़ी संख्या में नियमित नर्सेस के हड़ताल पर जाने से हो रही परेशानी से निपटने प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं की मदद ली जा रही है। कुछ सीनियर नर्सेस भी हड़ताल से दूर है। लेकिन दो दिन से 12-14 घंटे तक काम करने के बाद अब सीनियर स्टाफ भी हाफ गया है। वार्ड में भर्ती मरीजों की देखभाल का जिम्मा जूनियर डॉक्टर और नर्सिंग स्टूडेंट्स पर आ गया है। लेकिन प्रशिक्षित नर्सेस के अभाव में मरीजों की परेशानी बढ़ रही है।
एस्मा लागू होने के बावजूद हड़ताल को लेकर प्रशासन सख्ती की तैयारी में है। चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग ने काम पर नहीं आ रही नर्सों को अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी जारी की है। एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष सौरभ गौतम और सचिन रजक ने बताया कि मेडीकल कॉलेज के डीन ने नर्सो को हास्टल खाली करने का आदेश जारी किया। जिसका विरोध करने कार्यकर्ता डीन कार्यालय में दाखिल हो गए।
प्रबंधन ने नर्सिंग स्टूडेंट को हड़ताल का समर्थन नहीं करने का दबाव बनाया। जिसके बाद कार्यकर्ताओं ने विरोध किया तो आदेश का निरस्त किया गया। एनएसयूआई के जिला प्रवक्ता सचिन रजक, राष्ट्रीय संयोजक करन तानसेतवार, मो. अली, रिजवान अली कोटी, राहुल बघेल,अदनान अंसारी आदि मौजूद रहे।