नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। केंद्र सरकार के विवादास्पद ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 को मप्र हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। याचिका दायर कर कहा गया है कि यह कानून युवाओं के मौलिक अधिकारों का हनन करता है। फैंटेसी स्पोर्ट्स जैसे कौशल-आधारित खेलों को भी यह कानून अवैध बता रहा है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने याचिका की सुनवाई अगले हफ्ते करने के निर्देश दिए।
रीवा की क्लबूबम 11 स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ पुष्पेंद्र सिंह ने याचिका दायर की है। तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्ट पहले ही फैंटेसी स्पोर्ट्स को कौशल-आधारित खेल बता चुके हैं।
ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा यह बिल लाया गया और कानून बनाया गया। यह नया ऑनलाइन गेमिंग कानून पूरे सेक्टर को अवैध बताने की कोशिश कर रहा है। कंपनी का कहना है कि यह न केवल संविधान का उल्लंघन है, बल्कि युवाओं के मौलिक अधिकारों को भी छीन रहा है।
मप्र हाईकोर्ट ने पनागर के ग्राम औरिया में एक डेवलर द्वारा कृषि कार्य के लिये किये गये रोड निर्माण को हटाने संबंधी कार्यवाही पर रोक लगा दी है। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने मामले में यथास्थिति के निर्देश देते हुए अनोवदकों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। यह मामला मॉ काली डेवलपर्स की ओर से दायर करते हुए पनागर एसडीएम के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें मुरम डालकर कृषि कार्य हेतु बनाई गई रोड को हटाने के आदेश दिये गये है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनोज कुशवाहा व कौशलेन्द्र सिंह ने पक्ष रखा। जिन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता ने कालोनी बनाने के उद्देश्य से जमीन क्रय की थी, लेकिन कालोनी निर्माण हेतु आवश्यक अनुमति टीएनसीपी भोपाल के पास पेंडिंग है।
इसी बीच में याचिकाकर्ता ने लगभग 10 हेक्टर की जमीन पर खेती करने का निश्चय किया एवं खेती में आवागमन के उद्देश्य से मुरम की रोड डाली, इसके साथ नगर निगम से आवश्यक अनुमति लेकर नाले के ऊपर स्वयं के खर्चे पुल बनाया, किंतु एक स्थानीय नागरिक ने दुर्भावना पूर्वक प्रेरित होकर एसडीएम पनागर के समक्ष अतिक्रमण हटाने के संबंध में शिकायत की। जिस पर याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया।
जिसका जवाब भी आवेदक की ओर से दिया गया, लेकिन उक्त जवाब के बावजूद एसडीएम द्वारा आदेश न पारित करते हुए दुर्भावना पूर्वक तहसीलदार पनागर को आदेश किया कि याचिकाकर्ता द्वारा आवागमन के लिये बनाई गई रोड को तत्काल हटाया जाये। जिसके बाद तहसीलदार ने तीन दिवस में रोड हटाने का आदेश पारित किया। जिसके खिलाफ कमिश्नर के समक्ष अपील की गई।