जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। जागरण संस्था द्वारा मासिक आनलाइन काव्य गोष्ठी व देशभक्ति गीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह आयोजन गुंजन कला सदन के संस्थापक स्व. ओंकार श्रीवास्तव को समर्पित किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता आचार्य डॉ. हरिशंकर दुबे ने की। मुख्य अतिथि बसंत कुमार शर्मा, विशिष्ट अतिथि प्रतुल श्रीवास्तव, सारस्वत अतिथि मनोहर चौबे शामिल रहे। मुख्य वक्ता व संचालक राजेश पाठक प्रवीण ने जागरण संस्था की सृजनात्मक यात्रा का परिचय दिया।
देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं को प्राथमिकताएं दें: अतिथियों ने कहा कि हर व्यक्ति का दायित्व है कि वह अपना सम्पूर्ण समर्पण देश हित के लिये करें। मातृभूमि के प्रति अनुराग ही हमें मानवता से जोड़ता है। जननी और जन्मभूमि से बड़ा कोई नहीं होता। विशेषकर साहित्य लेखन के माध्यम से तो बड़ी आसानी से देशभक्ति के प्रति अपनी रचनाओं को समर्पित किया जा सकता है। आजादी के संघर्ष की बात हो या फिर उसके बाद की रचनाओं की, हमेशा ही लेखकों व कवियों ने अपनी रचनाओं से जन सामान्य के मन में देशभक्ति का भाव भरा है। वर्तमान में भी आवश्यकता है कि शहर के साहित्यकार मानवीय संवेदनाओं व देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं को प्राथमिकताएं दें। जिससे समाज को एक दिशा मिल सके। जागरण संस्था द्वारा इसी उद्देश्य से देशभक्ति रचना प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जहां प्रथम मनोहर चौबे आकाश, द्वितीय डॉ.शरदनारायन खरे, कालिदास ताम्रकार और तृतीय स्थान पर रमेश श्रीवास्तव चातक, आंनद मित्तल पुरस्कृत हुए।
देशभक्ति गीत प्रतियोगिता हुई: प्रारंभ में सरस्वती वंदना अर्चना गोस्वामी, जागरण गान इंजी. दुर्गेश व्यौहार दर्शन व जागरण देशभक्ति गीत इन्द्रपाल गोगी ने प्रस्तुत किया।आभार सुशील श्रीवास्तव ने व्यक्त किया। देशभक्ति गीत प्रतियोगिता में हिमगिरि के पदतल से फैली,दूर जलधि सीमा तक...,जग में अमर हुआ है जिसने भी तुझको शीश नवाया...., जैसी रचनाएं कवियों ने प्रस्तुत कीं। इन कवियों में निशी श्रीवास्तव लखनऊ, अर्चना द्विवेदी गुदालू, मथुरा प्रसाद कोरी,आशा निर्मल जैन, डॉ.एन.डी. निंबावत जोधपुर, मालती लखेरा बम्हनी बंजर, प्रमोद दाहिया, प्रदीप नामदेव नम्र, मधु कौशिक लखनऊ, रजनी कटारे, प्रो.मंजरी अरविंद गुरु, कल्याण दास साहू, कविता नेमा, डॉ.मुकुल तिवारी, वंदना सोनी विनम्र,डॉ. संध्या शुक्ल मृदुल, वृंदावन राय सरल ने वीररस की कविताओं की प्रस्तुति दी।