जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर यात्री आए दिन सवाल खड़े करते रहे हैं। खाने की गुणवत्ता सुधारने के लिए रेलवे ने कई कदम भी उठाए गए। इन्हें परखने के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया यानि एफएसएसएआइ द्वारा स्टेशनों को औचक निरीक्षण किया जा रहा है। इस दौरान खाने की गुणवत्ता से लेकर खाना परोसने वालों के व्यवहार की जांच की जा रही है। जबलपुर रेल मंडल में तीन स्टेशन सागर, मकरोनिया और खुरई यात्रियों के खाने के लिए बेहतर पाए गए हैं। एफएसएसएआइ ने इन्हें ईट राइट स्टेशन का दर्जा दिया है। जबलपुर को नहीं मिला ईट राइट स्टेशन का दर्जा जबलपुर रेल मंडल में छोटे-बड़े लगभग 100 रेलवे स्टेशन हैं। इसमें 20 बड़े स्टेशन हैं। जबलपुर, कटनी, सागर, दमोह, सतना, रीवा, नरसिंहपुर, पिपरिया से 24 घंटे में 100 से ज्यादा यात्री ट्रेन गुजरती हैं।
इन स्टेशन पर कई बार एफएसएसएआइ की टीम ने खाने की गुणवत्ता जांचने औचक और गोपनीय जांच की। कई बार स्टाल में गंदा और बासा खाना मिला तो कई बाद खाना परोसने वाले का व्यवहार अच्छा नहीं था। जबलपुर में भी यही हालात आज भी हैं, जिन्हें दूर करने के लिए रेलवे के अब तक उठाए गए कदम नाकाफी रहे हैं।
ऐसे होता है औचक निरीक्षण- एफएसएसएआइ की टीम रेलवे स्टेशनों पर गोपनीय तरीके से पहुंचती है- वे रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर मिलने वाले खाने की गुणवत्ता की परखती है। टीम के द्वारा खाने के स्टालों पर सफाई के साथ खाना पकाने का तरीका देखती है। खाना परोसने वाले के कपड़े, उसकी सफाई और व्यवहार को भी परखती है। खाना खा रहे यात्रियों से खाने की गुणवत्ता के बारे में सवाल-जवाब करती है। एक साल पहले सागर, अब मकरोनिया-खुरई एक साल पहले एफएसएसएआइ की टीम ने सागर रेलवे स्टेशन पर खाने की गुणवत्ता, यात्रियों का सर्वे किया। इसके बाद टीम ने इस स्टेशन को यात्रियों के खाने के लिए बेहतर पाया। स्टेशन प्रबंधक को इट राइट स्टेशन के प्रमाण पत्र से नवाजा गया। इसके बाद टीम ने मंडल की सीमा में आने वाले मकरोनिया, खुरई समेत कटनी, मुड़वारा, दमोह, बांदकपुर समेत कई स्टेशनों पर मिलने वाले खाने की गोपनीय जांच की। इसमें टीम ने इनमें सिर्फ मकरोनिया और खुरई स्टेशन को ही ईट राइट स्टेशन का दर्जा दिया है।
यह होगा फायदा
स्टेशन पर मिलने वाले खाने को लेकर यात्रियों में विश्वास बढ़ेगा। स्टेशन पर मिलने वाले खाने और खाना परोसने वालों की साख सुधरेगी। राष्ट्रीय स्तर पर स्टेशन के खाने की गुणवत्ता को पहचाना जाएगा। रेलवे और अन्य प्रशासनिक स्तर पर सम्मानित भी किया जाएगा।
जबलपुर हर बार फिसड्डी रहा
जबलपुर रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले खाना और चाय की गुणवत्ता अब तक नहीं सुधर पाई है। हालात यह हैं कि यहां पर कई सालों से खाने का ठेका चला रहे दो ठेकेदार द्वारा भी खाने की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं किया गया। सुबह का खाना, रात तक यात्री को परोसा जाता है। इतना ही नहीं आलूबंडे, समोसे, इडली को पेपर में रखकर यात्रियों को देते हैं। गंदी बोरियों से खाना ढंकते हैं। चाय की गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब है। सात रुपये की चाय दस रुपये में देते हैं, वो भी दूध कम, पानी ज्यादा। अंडा बिरयानी रोक के बाद भी बिक रही हैं। सड़े अंडे का आमलेट बनाया जाता है। कुछ दिन पहले ही सीनियर डीसीएम और उनकी टीम ने जांच के बाद कई आमलेट कचरे के डिब्बे में फिंकवाए गए।