जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जबलपुर रेल मंडल से रवाना होने वाली ट्रेनों के एसी कोच में बेडरोल देने की सुविधा अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। ट्रेन में सफर करने वाले यात्री परेशान हैं। रेलवे बोर्ड से बेडरोल सुविधा शुरू करने का आदेश जारी होने के एक सप्ताह बाद भी मैकेनिकल विभाग ट्रेनों में यह सुविधा शुरू नहीं कर सका है। मामला बेडरोल धाेने और बांटने की प्रक्रिया में उलझकर रह गया है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इस सुविधा को शुरू करने के लिए पहले टेंडर करें या फिर कोटेशन मांगवाकर काम सौंप दिया जाए। पिछले एक सप्ताह से इस पर ही काम चल रहा है। अभी तक कोटेशन की प्रक्रिया पर मैकेनिकल विभाग और यात्री सुविधाएं, दोनों अटक गई हैं। मंडल प्रशासन का कहना है कि अभी इस सुविधा को शुरू होने में लगभग छह से सात दिन और लग सकते हैं।
अभी यह है हालात:
- बेडरोल साफ करने से लेकर ट्रेनों के एसी कोच में बांटवाने तक का काम मैकेनिकल विभाग के जिम्मे है।
- बेडरोल साफ करने के लिए मंडल के पास खुद का वाशिंग प्लांट है, जो ठेके पर चलता है
- इसे चलाने का ठेका विभाग ने कोरोना काल के पहले ही एक निजी कंपनी को दे दिया है
- इस कंपनी को दो साल तक प्लांट में बेडरोल साफ करने का ठेका करोड़ों में दिया है।
कहां आ रही दिक्कत
- बेडरोल ट्रेन में चढ़ाने से कोच में यात्री को देने का काम दूसरी कंपनी को दिया जाना है
- इसके लिए टेंडर प्रक्रिया या फिर कोटेशन प्रक्रिया, दोनों को लेकर उलझन है
- संभावना है कि कम समय के लिए कोटेशन प्रक्रिया को अपना सकते हैं
- हालांकि इसमें भी कई ठेकेदार, काम लेने के लिए रेलवे बोर्ड तक जोर लगा रहे हैं।
इससे बढ़ रहा विरोध
- मैकेनिकल विभाग में दो एसी कोच में एक अटेंडर तैनात करेगा
- यह दो कोच के यात्री को बेडरोल देगा और वापस लेगा
- इस बीच यदि बेडरोल चोरी होते हैं तो पैसा अटेंडर की जेब से कटेगा
- दो कोच में यात्री की परेशानी सुनने का काम भी यही करेगा।
400 कोच में बाटेंगे बेडरोल
- जबलपुर से रोजाना 27 से ज्यादा ट्रेनों रवाना होती है
- इन ट्रेनोें में लगे लगभग चार सौ एसी कोच में बेडरोल देना है
- जिसमें एक बार में लगभग 15 से 20 हजार बेडरोल हर दिन चाहिए
- इन्हें बांटने और वापस लेने का खर्च रेलवे की वहन करेगा