जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मुख्य रेलवे स्टेशन को यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिहाज से विकसित किया जा रहा है। यहां पर यात्रियों के लिए ही नहीं बल्कि शहर के लोगों के लिए कई सुविधाएं जल्द ही शुरू की जाएंगी। इन सब के बावजूद यात्रियों और उन्हें छोड़ने के लिए स्टेशन तक आने वाले लोगों को अपने वाहन खड़े करने के लिए यहां बेहतर पार्किंग व्यवस्था नहीं मिल रही है और भविष्य में कब मिलेगी, यह भी अभी सवाल ही बना हुआ है। स्टेशन के रिडवलपमेंट कार्य के दौरान यहां की पार्किंग को व्यवस्थित करने और सुंदर बनाने की योजना है, लेकिन अभी स्टेशन पर चल रहे काम ही अधूरे पड़े हैं वहीं पार्किंग व्यवस्था का सुधरना फिलहाल अभी मुश्किल है। इधर पश्चिम मध्य रेलवे जोन ने इस काम को पूरा करने की समयावधि एक बार फिर बढ़ा दी है और अब 15 अगस्त तक इसे पूरा करने कहा गया है।
तीन साल से हो रहा योजना पर काम: पिछले तीन सालों से स्टेशन की पार्किंग और स्टैंण्ड व्यवस्था को सुधारने के लिए जबलपुर रेल मंडल के इंजीनियरिंग और कमर्शियल विभाग ने कई कवायदें की, लेकिन उसमें आज तक सफलता नहीं मिली है, जिसका खामियाजा यात्रियों को ज्यादा पैसा, स्टैंण्ड संचालक और उनके कर्मचारियों से बहस कर चुकाना पड़ रहा है। हालांकि जबलपुर मंडल ने अपनी आय बढ़ाने और यात्रियों से ज्यादा पैसा वसूलने के लिए रेलवे की न्यू पार्किंग पॉलिसी को पहले ही लागू कर दिया है, जिसके बाद वाहन खड़े करने का दो से तीन गुना किराया वसूला जा रहा है।
जहां जगह मिली, वहीं खड़े कर दिए वाहन:
प्लेटफार्म एक के बाहर: यहां पर भी स्टेशन रिडवलपमेंट का काम चल रहा है। स्टैंण्ड और पार्किंग को ठेके पर दिया गया, लेकिन स्टैंण्ड ही नहीं, स्टेशन पर जहां भी जगह मिलती है, वहां वाहन खड़े कर दिए जाते हैं और फिर स्टैंण्ड संचालक उसके बदले में लोगों ने किराया वसूलते हैं। इतना ही नहीं शाम होते ही स्टैंण्ड संचालक और उनके कर्मचारी बीच सड़क पर कुर्सियां लगाकर वाहन चालकों से अभद्र व्यवहार कर पार्किंग शुल्क वसूल रहे हैं।
प्लेटफार्म छह के बाहर: यहां पर वाहनों की आवाजाही ज्यादा होती है। वाहन स्टैंण्ड में कम, सड़कों पर ज्यादा दिखाई देते हैं। यहां भी वाहन ख़डे करने की कोई जगह तय नहीं है। जहां जगह मिली, दो और चार पहिया वाहन खड़े कर लोग, यात्रियों को छोड़ने स्टेशन के अंदर चले जाते हैं और जब बाहर निकलते हैं तो स्टैंण्ड का कर्मचारी उनसे पार्किंग शुल्क लेने खड़ा रहता है। इसको लेकर आए दिन बहस हो रही है।
यह है हालात:
— यहां कैमरे लगाए तो वह अब गायब हो गए हैं
— दोनों स्टैंण्ड में बैरीकेड लगे थे, वो भी नहीं हैं
— कम्प्यूटर से पर्ची दी जा रही थी,वो भी बंद है
— वाहन स्टैंण्ड के कर्मचारी यूनिफार्म में नहीं होते
— आरपीएफ भी इनकी वसूली नहीं रोकती