जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। रेलवे ने कागज के उपयोग को कम करने के लिए अपने काम और सुविधा, दोनों में लगातार बदलाव किए। इस बदलाव में कई ऐसे थे, जिनमें रेलवे को सफलता भी मिली, तो कई काम सिर्फ खानापूर्ति के लिए किए गए। इन कामों की हकीकत जानने के बाद भी रेलवे ने इनमें कोई बदलाव नहीं किया। ऐसा ही हाल जनरल टिकट की आनलाइन बुकिंग का हुआ। जबलपुर रेल मंडल ने कागज का उपयोग कम करने के लिए जनरल टिकट की सुविधा आनलाइन दी। इसके लिए रेलवे ने यूटीएस यानी अनरिजर्व टिकट एप बनाया, इसका उपयोग कर यात्री आनलाइन जनरल टिकट बुक कर सकते हैं। हकीकत यह रही कि इस एप से आज 30 फीसदी भी जनरल टिकट नहीं बन रहीं। ग्रामीणों के लिए सुविधा कम दुविधा ज्यादा है।
न एप का पता, न उपयोग करने का तरीका
जबलपुर रेल मंडल ने अन्य मंडलों की तरह जनरल टिकट पर खर्च होने वाले कागज को बचाने के लिए आनलाइन अनरिजर्व टिकट की सुविधा शुरू की। इसके लिए जबलपुर समेत सभी स्टेशन पर इस एप के उपयोग को अधिकृत किया गया। यहां तक की जबलपुर के मुख्य रेलवे स्टेशन पर पोस्टर और अन्य माध्यमों से कुछ दिन तक इसकी जानकारी भी यात्रियों को दी, लेेकिन इसका असर नहीं हुआ। वर्तमान में जनरल टिकट काउंटर पर खड़े लोगों की संख्या देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस एप का उपयोग गिनती के यात्री ही कर रहे हैं। यात्रियों को न तो इस एप की जानकारी है और न ही इसके उपयोग करने का तरीका उन्हें आता है।
अंग्रेजी में है, कैसे समझें भैया
जबलपुर से स्लीमनाबाद जा रहे विनोद तिवारी से जब पूछा गया कि वे जनरल टिकट आनलाइन क्यों नहीं लेते। उनका कहना था कि इस एप का उपयोग करने का उन्होंने प्रयास किया, लेकिन एप में दी गई जानकारी अधिकांश अंग्रेजी में है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन जब स्टेशन की जानकारी भी अंग्रेजी में देनी पड़ती है तो दिक्कत आती है। जबलपुर से चाहे खन्ना बंजारी जाना हो या स्लीमनाबाद, दोनों की स्पेलिंग लिखने में ही गलती हो जाती है। इससे कई बार स्टेशन का नाम नहीं आता है। इस वजह से आनलाइन की बजाए आफलाइन टिकट लेना ही बेहतर समझा।
हर दिन 20 हजार यात्री लेते हैं टिकट :
जबलपुर रेल मंडल से हर दिन लगभग 120 से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं। वहीं लगभग 20 से ज्यादा ट्रेनें यहां से चलती हैं। इसमें 24 घंटे में लगभग 18 से 20 हजार यात्री काउंटर पर जनरल और रिजर्वेशन टिकट लेते हैं। इनमें 12 हजार यात्री जनरल टिकट लेते हैं। एक टिकट पर रेलवे लगभग 4 से 5 रुपये खर्च करता है, जिसमें स्याही, कागज और कर्मचारी की टिकट से लेकर काउंटर पर बिजली, स्टेशनरी समेत अन्य खर्च शामिल हैं। हर दिन लगभग 60 हजार और एक माह में 18 लाख और साल में लगभग दो करोड़ 12 लाख खर्च बचा सकता है, लेकिन नहीं बचा पा रहा।
रेलवे का प्रयास रहता है कि कागज की उपयोगिता जितनी कम हो, उतना बेहतर। जनरल टिकट को आनलाइन एप के माध्यम से देने का काम शुरू किया गया है। इसका लगातार प्रचार भी किया जा रहा है, ताकि जनरल टिकट आफलाइन बनाने में होने वाले खर्च को कम किया जा सके।
- सुनील श्रीवास्तव, डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल