नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। लखनऊ से चलकर जबलपुर आने वाली चित्रकूट एक्सप्रेस के एसी कोच में रात तकरीबन एक बजे हड़कंप मच गया। ट्रेन के बी 4 में अचानक फायर अलार्म बजने ही कोच में अफरा-तफरी मच गई। घटना के दौरान ट्रेन मझगवां से जैतवारा की ओर आ रही थी।
ट्रेन को तत्काल रोका गया और रेल कर्मचारियों की मदद से जांच की। कहीं भी आग लगने या धुंआ उठने जैसे स्थिति नहीं मिली। लगभग 30 मिनट तक जांच करने के बाद पता चला कि कोच में पहले से मौजूद चूहों ने फायर अलार्म के तार काट दिए, जिससे वह बजने लगा।
शुक्रवार शाम साढ़े पांच बजे चित्रकूट एक्सप्रेस 15205 लखनऊ से रवाना हुई। रात लगभग 1.12 पर ट्रेन सतना से दो स्टेशन पहले मझगवां पहुंची। यहां पांच मिनट रुकने के बाद ट्रेन जैतवारा के लिए रवाना हो गई। ट्रेन ने कुछ किमी का ही सफर तय किया था कि अचानक कोच में जोरों से फायद अलार्म बज गया। इसकी आवाज सुनकर यात्री घबरा गए और उन्होंने तत्काल अन्य यात्रियों को कोच के बाहर निकाला।
कोच में सफर कर रहे एक यात्री ने बताया कि फायर अलार्म बजते ही बच्चे रोने लगे। इधर महिलाएं भी सीट से गिर गईं। लगेज को कोच में ही छोड़कर किसी तरह से बच्चे, महिला और बुजुर्ग यात्रियों को अन्य यात्रियों की मदद से दूसरे कोच में शिफ्ट किया गया। लगभग 40 से 50 मिनट तक कुछ समझ नहीं आया। ऐसा लगा कोच में आग लग गई है, लेकिन कुछ देर बाद पता चला कि चूहों के वायर काटने से फायर अलार्म बचा गया।
ट्रेन में कोचों की सफाई और चूहे-काकरोच के ट्रीटमेंट के नाम पर रेलवे का मैकेनिकल विभाग हर माह लाखों खर्च करता है। यह खर्च सिर्फ कागज और बिल पर दिखाया जाता है, कोच में न तो चूहों की कमी आई है और न ही काकरोच, खटमल की। चित्रकूट एक्सप्रेस ही नहीं, सोमनाथ, गोंडवाना, श्रीधाम, महाकौशल, ओवरनाइट, अमरावती, गरीब रथ समेत कई ट्रेन के कोच में काकरोच, खटमल और चूहों के होने की शिकायत आती हैं।
हटाने के लिए जो ट्रीटमेंट या प्रक्रिया की जा रही है, वह अब काम नहीं कर रही। इसकी वजह कमीशन के चक्कर में सही ट्रीटमेंट के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन और दवाइयां, सस्ती होती हैं, जाे अब काम नहीं कर रहीं। चित्रकूट एक्सप्रेस में भी चूहों की वजह से यह हालात बने, जिससे कई यात्री गिर गए।