मध्य प्रदेश में पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता व प्रवेश प्रक्रिया पर रोक, 150 कॉलेज होंगे प्रभावित
नर्सिंग कॉलेज मान्यता फर्जीवाड़े के बाद हाई कोर्ट ने अब प्रदेश के पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता और प्रवेश में गड़बड़ियों पर सख्ती बरती है। हाई कोर्ट ने सवाल किया है कि जब सत्र 2023-24 और 2024-25 गुजर चुके हैं, तो उनकी मान्यता 2025 में कैसे दी जा सकती है। यह न केवल बेतुका बल्कि हास्यास्पद भी है।
Publish Date: Wed, 16 Jul 2025 08:16:08 PM (IST)
Updated Date: Wed, 16 Jul 2025 08:25:10 PM (IST)
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट।HighLights
- कोर्ट की टिप्पणी, मान्यता की पूरी कार्रवाई हास्यास्पद और बेतुकी है।
- मामला शिक्षण सत्र 2023-24 और 2024-25 की मान्यता, प्रवेश का है।
- इसमें राज्य में 150 से अधिक पैरामेडिकल कॉलेजों को मान्यता दी गई है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन व न्यायमूर्ति दीपक खोत की विशेष युगलपीठ ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिए प्रदेश में पैरामेडिकल काॅलेजों की मान्यता व प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। अपनी तल्ख टिप्पणी में कोर्ट ने कहा कि पैरामेडिकल काॅलेजों की मान्यता की पूरी कार्यवाही हास्यास्पद और बेतुकी है। मामला शिक्षण सत्र 2023-24 और 2024-25 की मान्यता और प्रवेश का है।
इसके अंतर्गत राज्य में 150 से अधिक पैरामेडिकल कॉलेजों को मान्यता दी गई है। नर्सिंग कॉलेज मान्यता फर्जीवाड़े के बाद हाई कोर्ट ने अब प्रदेश के पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता और प्रवेश में गड़बड़ियों पर सख्ती बरती है।
हाई कोर्ट ने सवाल किया है कि जब सत्र 2023-24 और 2024-25 गुजर चुके हैं, तो उनकी मान्यता 2025 में कैसे दी जा सकती है। यह न केवल बेतुका बल्कि हास्यास्पद भी है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई नर्सिंग मामलों के साथ 24 जुलाई को निर्धारित की है।
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- लाॅ स्टूडेंट्स एसोसिएशन द्वारा नर्सिंग मामले पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पिछली सुनवाई में एक आवेदन पेश किया गया था।
- इसमें हाई कोर्ट को अवगत कराया गया था कि नर्सिंग की तरह पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता में भी अनियमितताएं की जा रही हैं।
- एमपी पैरामेडिकल काउंसिल के द्वारा गुजरे हुए एकेडमिक सत्रों (2023-24 एवं 2024-25) की मान्यता बांटी जा रही है।
- बगैर मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त किए सरकारी व निजी पैरामेडिकल कॉलेजों के द्वारा अवैध रूप से छात्रों को प्रवेश दिए जा रहे हैं।
- नर्सिंग घोटाले की जांच में जिन काॅलेजों को सीबीआई ने अनसुटेबल बताया है, उन्हीं भवनों में पैरामेडिकल काउंसिल अब पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता बांट रही है।
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उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, पैरामेडिकल काउंसिल के पदेन चेयरमैन
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, पैरामेडिकल काउंसिल के पदेन चेयरमैन हैं। इसके बावजूद चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में अनियमितताएं लगातार जारी हैं। आवेदन पर सुनवाई करते हुए 11 जुलाई को हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए अलग जनहित याचिका के रूप में पंजीबद्ध करने व मध्य प्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल के चेयरमैन व रजिस्ट्रार को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए थे।
कोर्ट ने आश्चर्यपूर्वक पूछा-ऐसी नीतियां बनाता कौन है ?
- बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिए कि कतिपय कानूनी व तकनीकी समस्याओं के चलते पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों का अकादमिक सत्र देरी से चल रहा है।
- वर्ष 2021 में भारत सरकार द्वारा पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए अधिनियम पारित किया गया था।
- इसके पालन में मप्र में भी नए कानून के हिसाब से काउंसिल का गठन किया गया था और एमपी पैरामेडिकल काउंसिल समाप्त की गई थी।
- लेकिन बाद में नवंबर, 2024 में राज्य की मंत्री परिषद के द्वारा एमपी पैरामेडिकल काउंसिल को पुनर्जीवित किया गया।
- इस वजह से मान्यता जारी करने में देरी हुई। काउंसिल द्वारा की जा रही सभी कार्यवाहियां विधि सम्मत हैं।
- इनमें राज्य शासन से भी अनुमोदन लिया गया है। हाई कोर्ट ने इस तर्क पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि आखिर ऐसी नीतियां बनाता कौन है ?
- गुजरे हुए सत्रों में छात्रों के प्रवेश कैसे दिए जा सकते हैं।
- सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी पैरामेडिकल कालेजों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी।