जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। स्कूल शिक्षा विभाग में नौनिहालों की सुरक्षा को लेकर चिंता सोमवार को नजर आई। कोविड में जहां प्राइमरी स्कूल बंद रखने थे फिर भी उन्हें खोला गया। महकमे का फरमान स्कूलों तक वक्त पर नहीं पहुंचा। नतीजा बच्चें उत्साह में स्कूल पहुंच गए। कोविड गाइडलाइन पर भी कई जगह गौर नहीं हुआ। बकायदा कक्षाओं में बच्चों को बैठाकर पढ़ाई करवाई गई। नईदुनिया ने कई स्कूलों का औचक दौरा किया तो हकीकत सामने आई। स्कूल के शिक्षकों ने कहा कि उन्हें सुबह पता चला कि स्कूल नहीं खुलने हैं लेकिन तबतक बच्चे स्कूल पहुंच चुके थे इसलिए उन्हें बैठाया गया।
बच्चे आए शिक्षक गायब: एकीकृत प्राथमिक शाला माढ़ोताल में सुबह 10.30 बजे कई बच्चे पहुंच गए। जिन्हें कक्षा में बैठाया गया। प्राचार्य स्नेहलता जैन ने बताया कि बच्चों को जानकारी नहीं होने के कारण वे आ गए है इन्हें अभिभावकों के साथ वापस भेजा जा रहा है। शिक्षकों का दावा है कि कई विद्यार्थियों को फोन कर सूचना दी गई है। वहीं स्कूल में कई शिक्षक 11 बजे तक नहीं हाजिर हुए थे। इसी तरह शासकीय प्राथमिक शाला त्रिमूर्ति नगर में दर्जनभर से ज्यादा बच्चें पहुंचे। सभी को पास-पास जमीन पर बैठाया गया। सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं थी। हालांकि बच्चे मास्क पहकर पढ़ाई करते दिखे। शिक्षिका सुष्मिता साहू ने बताा कि 60 बच्चे शाला में है। कुछ ही पहुंचे है जिन्हें कुछ देर बैठाने के बाद वापस भेज दिया जाएगा। इस स्कूल में भी प्राचार्य नहीं मिले। शिक्षिका ने बताया कि किसी कार्य से बाहर गई है। ऐसा ही चेरीताल कन्या प्राथमिक शाला और शासकीय माध्यमिक शाला दीक्षितपुरा में भी बच्चें पहुंचे।
स्कूल बंद है ये बताया ही नहीं: दीक्षितपुरा स्कूल में बच्चा लेकर पहुंचे एक अविभावक ने बताया कि वो सुबह बच्चे को लेकर स्कूल गए थे। उन्हें यह नहीं बताया गया था कि स्कूल बंद है। उनके अनुसार कक्षाएं लगी थी स्कूल का पहला दिन होने के कारण वे जल्दी बच्चे को लेकर घर जा रहे हैं। चेरीताल स्कूल में दो बेटी रिद्दी और सिद्धि को लेकर स्कूल पहुंचे उसके पिता अमर ने बताया कि उन्हें स्कूल बंद होेने की कोई जानकारी नहीं थी। हालांकि उन्होंने कोरोना संक्रमण के खतरे को नकार दिया।
असमंजस क्यों बना: स्कूल शिक्षा विभाग से 20 सितंबर से प्राथमिक शाला खोलने के निर्देश हुए। आदेश में स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति के निर्णय पर अमल होना था। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से स्कूल खुलने अथवा बंद रखने को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए। जिस वजह से शिक्षकों ने भोपाल के आदेश को ही अंतिम मानकर खुद निर्णय लिया। 19 सितंबर की देर रात स्कूलों बंद रखने की बात अधिकारियों ने पहुंचाई इसके बावजूद शिक्षकों तक बात नहीं पहुंच पाई और स्कूल खुल गए।
मास्क लगाया लेकिन दूरियां नहीं: स्कूलों में बच्चों के बीच कोविड गाइडलाइन के तहत शारीरिक दूरी कायम रखने के निर्देश थे लेकिन ऐसा नहीं दिखा। बच्चें मर्जी से एक दूसरे के करीब बैठे रहे। मास्क अधिकांश बच्चों ने पहना हुआ था। सैनिटाइजर की व्यवस्था भी सिर्फ शिक्षकों ने अपने तक सीमित रखी। बच्चों को सैनिटाइजर नहीं उपलब्ध कराया।
शहर-गांव हर कहीं एक जैसा हाल: शहर के भीतर ही नहीं गांव में भी स्कूल खुले। प्राइमरी स्कूल के बच्चें जानकारी के आभाव में स्कूल पहुंच गए। शासकीय शाला बड़खेरा में कई बच्चे स्कूल पहुंचे। यहां प्रबंधन ने भी बच्चों की कक्षाएं लगाई। ऐसा ही कई स्कूलों में नजारा दिखा।