राजीव उपाध्याय, जबलपुर। अच्छी बातें, खोज और शोध हमेशा उपयोगी होते हैं। ऐसा ही कुछ शंख फूंक कर रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को काबू में रखने के शोध के साथ हो रहा है। यह शोध करीब दस साल पहले हुआ था, लेकिन वह अब कोरोना की वजह से उपजे भय और तनाव में ज्यादा कारगर साबित हो रहा है। मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (मेडिकल यूनिवर्सिटी), जबलपुर के पूर्व कुलपति व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आरएस शर्मा ने शंख फूंककर उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) व बढ़ी हुई हृदय गति को नियंत्रित करने पर शोध किया था। कोरोनाकाल में इस तरह की शिकायतें लेकर आ रहे मरीजों को यही शोध फायदा दे रहा है। डॉ. शर्मा के मुताबिक, हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र में दो प्रकार के सिस्टम होते हैं- वालेंट्री व आटोनोमस नर्वस सिस्टम। आटोनोमस सिस्टम के भी दो भाग होते हैं- सिंपेथेटिक व पैरासिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम। जब पैरासिंपेथेटिक सिस्टम उत्तेजित होता है, तब रक्तचाप व हृदय के धड़कने की गति कम होती है, वहीं जब सिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम उत्तेजित होता है, तब उच्च रक्तचाप होता है व हृदय गति बढ़ती है।
शंख फूंकना इस तरह है कारगर
आटोनोमस नर्वस सिस्टम का हृदय की गति व रक्तचाप पर प्रभाव पड़ता है। गहरी सांस लेकर उसे शंख में फूंकने पर छाती के अंदर दबाव बढ़ता है। इससे नर्वस सिस्टम के पैरासिंपेथेटिक हिस्से पर प्रभाव पड़ता है और वह अपना काम बढ़ा देता है यानी उत्तेजित होता है, वहीं सिंपेथेटिक हिस्सा अपना काम कम कर देता है। हृदय से निकलने वाली बड़ी धमनी के पास वेगस नर्व रहती है। जब शंख में हवा फूंकी जाती है, तब प्रतिरोध आता है। छाती पर उच्च दबाव से वेगस नर्व उत्तेजित (स्टिमुलेट) होती है। छाती में दबाव बढ़ने से रक्तदाब का परिवर्तन बड़ी धमनी की नसों पर असर डालता है। जो आटोनोमस नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इससे उच्च रक्तचाप कम होता है।
कोरोनाकाल में ये शिकायतें
- भय से अवसाद, स्वस्थ हो चुके मरीजों में हृदय गति बढ़ने की समस्या।
- मरीजों में उच्च रक्तचाप।
- नौकरी छूटने या आय में कमी से हृदय गति बढ़ने व तनाव।
ये लोग शंख न फूंकें
- हृदय गति कम हो व निम्न रक्तचाप हो।
- अस्थमा का अटैक यदि आया हो तो शंख न फूंकें।
- कान में तकलीफ, या सर्दी हो।
- चक्कर आने की शिकायत हो।
शोध के आधार पर मरीजों को सलाह देता हूं यदि उच्च रक्तचाप है व हृदय गति तेज चल रही है तो वे नियमित 10 सेकंड शंख फूंकें। इससे दोनों पर नियंत्रण होगा। - डॉ. आरएस शर्मा, हृदय रोग विशेषज्ञ व पूर्व कुलपति, जबलपुर
जिन पर हुआ प्रयोग वे रहे स्वस्थ
डॉ. आरएस शर्मा ने दस साल पहले जिन 20 मरीजों पर अपना शोध किया था। वे स्वस्थ रहे। उन्हें रक्तचाप से संबंधित कोई समस्या नहीं हुई। उन्होंने वर्ष 2010 में अपना शोध पत्र एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया में भी प्रस्तुत किया था।