राज्य ब्यूरो, जबलपुर/भोपाल, Reservation in Promotion: मध्य प्रदेश में आरक्षण के आधार पर पदोन्नति देने के नियम को चुनौती देने के मामले में मंगलवार को सुनवाई नहीं हुई। दरअसल, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा की युगलपीठ के समक्ष यह मामला निर्धारित था। न्यायमूर्ति सचदेवा की अनुपस्थिति के चलते मामले की सुनवाई नहीं हो सकी।
इस मामले में विगत सात जुलाई को हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने अंडरटेकिंग दी थी कि अगली सुनवाई तक उक्त पॉलिसी के तहत किसी को प्रमोशन नहीं दिए जाएंगे।
याचिकाकर्ता भोपाल निवासी डा. स्वाति तिवारी सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु सहित अन्य पक्ष रख रहे हैं। उनकी दलील है कि वर्ष 2002 के नियमों को हाई कोर्ट के द्वारा आरबी राय के केस में समाप्त किया जा चुका है।
इसके विरुद्ध मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी लंबित है, इसके बावजूद सरकार ने नियम बना दिए।
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उधर, सपाक्स के संस्थापक अध्यक्ष केपीएस तोमर का कहना है कि जब सरकार ने नए नियम बना लिए तो पुराने नियम को निरस्त किए जाने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस क्यों नहीं ली गई।
यदि सशर्त पदोन्नति ही देनी थी तो फिर नौ वर्ष तक कर्मचारियों को मानसिक प्रताड़ना क्यों दी गई। 2002 के नियम से जो पदोन्नतियां हुईं, उन्हें पदावनत क्यों नहीं किया जा रहा है?
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