
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आईएएस बनने का सपना लेकर घर से निकली साक्षी की इच्छा का सम्मान करते हुए महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है। इसके तहत बिहार के पटना में साक्षी की आगे की पढ़ाई की सुविधा दे दी गई है। वह बिहार सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की सचिव 2003 बैच की बिहार कैडर की वरिष्ठ अधिकारी आईएएस वंदना प्रेयसी की निगरानी में आईएएस बनने तैयारी को गति देगी।
आईएएस वंदना प्रेयसी बिहार में महिलाओं के उत्थान के लिए काफी काम किया है, जिसके लिए वे राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध हुई हैं। उनके मार्गदर्शन में साक्षी की पढ़ाई से लेकर सभी सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा।
दरअसल, साक्षी की पढ़ाई को रोक कर परिवार उसकी शादी करना चाहता था। उसका परिवार बिहार से आकर भोपाल के बजरिया में रह रहा था। इसी दौरान वह घर से निकल कर इंदौर चली गई थी, जहां प्राइवेट नौकरी के साथ आईएएस की तैयारी कर रही थी। वह आईएएस बनने के लिए घर पर नोट छोड़ कर निकली थी, जिसमें लिखा था कि 2030 में आईएएस बन कर लौटूंगी।
साक्षी की गुमशुदगी के बाद पिता ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पुलिस को खोजकर पेश करने के निर्देश दिए थे। जिसके पालन में 10 माह तलाश के बाद बजरिया पुलिस ने साक्षी को इंदौर से बरामद कर पेश किया था।
साक्षी ने अपने बयान में कहा था कि पिता उसे पढ़ाई नहीं करने दे रहे थे और शादी का दबाव बना रहे थे। उनकी प्रताड़ना से परेशान होकर वह घर से निकल गई और इंदौर में एक निजी कंपनी में नौकरी करके अपना खर्च निकालने लगी। किराए के कमरे में रहती है। सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कोचिंग कर रही है। युवती ने पिता के साथ नहीं भेजने की गुहार लगाई। जबकि पिता की तरफ से हाई कोर्ट को भरोसा दिलाया गया कि वे अपनी बेटी को प्रताड़ित नहीं करेंगे। पिता ने कोर्ट से बेटी को घर भेजने का आग्रह किया।
जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने युवती को कहा था कि वह चार-पांच दिनों तक अभिभावक के साथ रहकर देखे। अगर माहौल बेहतर नहीं लगे तो कलेक्टर को आदेश देंगे कि वह उसकी बाहर रहने और पढ़ाई की समुचित व्यवस्था कराएंगे। याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान युवती अपने पिता के साथ रहने के लिए तैयार हो गई। हाई कोर्ट ने ने युवती को भविष्य को मद्देजनर रखते हुए उसके संरक्षण के संबंध में आदेश पारित करते हुए याचिका का निराकरण कर दिया।