नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शुरू की गई सार्थक एप व्यवस्था अब शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। शिक्षकों और कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए बनाई गई यह प्रणाली न सिर्फ तकनीकी खामियों से जूझ रही है, बल्कि अब इसमें से पर्सनल डाटा लीक होने की गंभीर शिकायतें भी सामने आ रही हैं।
इस मुद्दे पर प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ ने कड़ा ऐतराज जताते हुए विभाग से कार्रवाई की मांग की है। संघ के संरक्षक प्रोफेसर कैलाश त्यागी और प्रांताध्यक्ष डॉ. आनंद शर्मा ने साझा बयान जारी कर बताया कि यह व्यवस्था पिछले एक वर्ष से लागू है। हालांकि इस दौरान कई बार आयुक्त कार्यालय की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए, लेकिन नेटवर्क की समस्या का समाधान नहीं किया गया।
सार्थक एप में सबसे बड़ी समस्या चेकआउट ऑप्शन को लेकर है। यदि शिक्षक किसी कारणवश चेकआउट करना भूल जाते हैं, तो उनकी उपस्थिति रिकॉर्ड नहीं हो पाती, चाहे वे पूरे समय कॉलेज में ही क्यों न रहे हों। इस स्थिति में उपस्थिति दर्ज करने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, जिससे शिक्षकों की कार्य उपस्थिति गलत ढंग से दर्शाई जाती है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि कुछ शिक्षकों की तस्वीरें, जिनमें कई महिला शिक्षक भी शामिल हैं, सार्वजनिक प्लेटफॉर्म्स पर लीक हो गईं। यह न केवल निजता का उल्लंघन है, बल्कि सुरक्षा और गरिमा के दृष्टिकोण से भी गंभीर चिंता का विषय है। शिक्षक संघ ने इसे साइबर सुरक्षा में भारी चूक बताते हुए संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की मांग की है।
संघ ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, तब तक सार्थक एप को अनिवार्य करना अनुचित होगा। उन्होंने उपस्थिति दर्ज करने की वैकल्पिक प्रणाली, नेटवर्क समस्याओं के समाधान और डाटा लीक की निष्पक्ष जांच की मांग अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग से की है।