नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। संस्कारधानी जबलपुर में नर्मदा तट लम्हेटाघाट में स्थित शनिदेव की तपोस्थली शनि कुंड के नाम से विख्यात है। शनि अमावस्या पर यहां दूर दूर से लोग शनि की महादशा, ढैय्या व साढ़ेसाती के निवारण के लिए अनुष्ठान कराने पहुंचे हैं।
आज चैत्र मास की शनि अमावस्या पर शनि कुंड में भक्तों का तांता लगा हुआ है। अमावस्या पर शनिदेव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि मे प्रवेश कर रहे हैं। इसके चलते मीन राशि में छह ग्रहों का षटग्रही योग बनेगा। छह अन्य महत्वपूर्ण योग भी बनेंगे।
इन योगों में नर्मदा तट पर स्नान-दान कर शनि की महादशा, पितृदोष के निवारण, पिंडदान व तर्पण करने वालों की भीड़ उमड़ी है। भक्त बड़ी संख्या में शनि मंदिरों में पूजन व तेल अर्पित करने पहुंचे हैं।
श्यामल आभा लिए हुए है कुंड का जल
लम्हेटाघाट के समीप नर्मदा में नौ अलग-अलग कुंड हैं। इनके पानी के रंग भी अलग-अलग नजर आते हैं। आचार्य जनार्दन शुक्ला बताते हैं कि स्कन्दपुराण व नर्मदा पुराण के अनुसार, सतयुग में सभी देवी देवताओं ने यहां नर्मदा किनारे तपस्या की थी।
उसी समय नवग्रहों के साथ शनिदेव ने भी यहां तप किया था। फलस्वरूप यह कुंड निर्मित हुआ था। शनिकुंड के आसपास नर्मदा नदी का जल साफ और पारदर्शी है, लेकिन शनिकुंड में जल का रंग श्यामल आभा लिए हुए हैं। जबकि यह जल न तो ठहरा हुआ है और ना ही अशुद्ध है।
चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या 29 मार्च शनिवार को है। शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को विशेष माना जाता है और इसे शनि अमावस्या कहते हैं। इस बार शनि अमावस्या पर शनिदेव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि मे प्रवेश करेंगे। इसके चलते मीन राशि मे छह ग्रहों का षटग्रही योग बनेगा। इसकी वजह से छह अन्य महत्वपूर्ण योग भी बनेंगे।
विद्वानों की माने तो इन सभी योगों के महासंयोग में शनि पूजन का फल सौ गुना हो जाएगा। इन योगों पर स्नान-दान कर शनि की महादशा के निवारण के लिए नर्मदा तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। कालसर्प योग के निदान के भी उपाय किए जाएंगे।
अमावस्या पर पितृदोष के निवारण, पिंडदान व तर्पण करने वालों का भी नर्मदा के घाटों पर जमावड़ा लगा है। लोग बड़ी संख्या में शनि मन्दिरों में दर्शन, पूजन व शनि अमावस्या के दिन धार्मिक कार्य करने से उसका प्रभाव कई गुना अधिक बढ़ जाता है।
शनि अमावस्या पर शनि ग्रह शांति से जुड़े कुछ उपाय करने से भक्तों को सर्वाधिक लाभ मिलता है। वर्तमान स्थिति में सूर्य, बुध, शुक्र और राहु ग्रह मीन राशि में मौजूद हैं। 28 मार्च को चंद्रमा ने मीन राशि में प्रवेश किया था।
इनके बाद आज रात शनिदेव भी मीन राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसके बाद एक राशि में कुल 6 ग्रह होंगे। आज षटग्रही योग के साथ ही बुधादित्य, शुक्रादित्य, मालव्य, लक्ष्मी नारायण, समसप्तक व शश योग भी बन रहे हैं। इन सभी योगों का संयोजन पूजन, पितृकर्म, शुभ अनुष्ठान के लिए अति उत्तम है।