Sharang Artillery Gun: नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री जबलपुर (ओएफजे) हर माह तीन सारंग तोप तैयार कर सेना के लिए सीओडी को सौंप रहा है। अपग्रेडेशन में जुटी फैक्ट्री को इस वर्ष 54 सारंग तोप सेना के लिए बनाने हैं। जिसमें से अब तक 31 तैयार कर सेना को सौंपी जा चुकी है।
ओएफजे के पास सारंग तोप के अपग्रेडेशन के लिए विशेषज्ञ टीम मौजूद है। सारंग तोप की ओवरहालिंग का कार्य तेजी से जारी है। आपूर्ति से पहले तोपों की ट्रायल होती है। सारंग में नई जान फूंकने में जुटी निर्माणी के कार्य में गुणवत्ता की वजह से इस साल उसे सेना से इस गन की नई खेप मिलने की संभावना जताई जा रही है।
हालांकि इस पर शीर्ष स्तर पर चर्चाओं का दौर जारी है। ओएफजे को कास्टिंग के कार्य में महारथ हासिल है। इसके लिए विगत में पांच साल की एक दूरगामी योजना बनाई गई है, जिसके तहत योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार सारंग के अपग्रेड वर्जन पर ओएफजे 2021 से कार्य करती आ रही है। समय-समय पर इसमें अनेक तकनीकी बदलाव भी किए गए, जिससे की क्षमता पूर्व के मुकाबले और बेहतर हुई है। इस तरह यह गन सीमाई क्षेत्र में दुश्मन के छक्के छुड़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सेना की मांग के अनुरूप इसका उत्पादन, अपग्रेडेशन विशेष ध्यान केंद्रीत करते हुए समय पर इसकी आपूर्ति सुनिश्चित हो सकी है।
यह युद्धाभ्यास में भी प्रयोग की जा रही है। ताकि ट्रायल ली जा सके। सूत्र बताते हैं कि पिछले साल ओएफजे को सारंग के 54 तोप के अपग्रेडेशन का कार्य सौंपा गया था। जिसमें से 31 सेना के लिए भेजी जा चुकी है, शेष गन का कार्य जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
सारंग को सबसे पहले जीसीएफ में आकार दिया गया। धनुष पर कार्य केंद्रीत करने के कारण वीएफजे ने अपग्रेडेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई फिर ओएफजे को यह कार्य शिफ्ट कर दिया गया। इस तरह ओएफजे ही अभी अपग्रेडेशन में जुटी हुई है। सारंग तोप की मारक क्षमता पहले 28 किलोमीटर के आसपास थी, जिसे बढ़ाकर अब करीब 32 किलोमीटर तक कर दिया गया है। साथ ही बैरल पहले 46 कैलीबर- 130 एमएम था जो कि अब 45 कैलीबर- 155 एमएम तक हो चुका है।