राज्य शासन ने बताया-'बर्ड फ्लू को लेकर हाई पावर कमेटी की अनुशंसाओं का पालन किया
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन की ओर से अपना जवाब पेश किया गया।
By Ravindra Suhane
Edited By: Ravindra Suhane
Publish Date: Fri, 12 Feb 2021 07:55:00 AM (IST)
Updated Date: Fri, 12 Feb 2021 07:55:08 AM (IST)

जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन की ओर से अपना जवाब पेश किया गया। जिसमें साफ किया गया बर्ड फ्लू को लेकर हाई पावर कमेटी की अनुशंसाओं का विधिवत पालन किया गया है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेकर मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी। किसी तरह की कोई लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है। प्रत्येक संबंधित को गंभीरता बरतने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस प्रक्रिया में हाई कोर्ट द्वारा 15 साल पूर्व जारी गाइडलाइन का भी ईमानदारी से पालन हो रहा है।
जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर के प्रांताध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे व नयागांव निवासी समाजसेवी रजत भार्गव की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि वर्ष 2006 में भी जबलपुर सहित देश-दुनिया में बर्ड फ्लू महामारी का संकट छाया था। उस दौरान जबलपुर के दंत चिकित्सक डॉ. वायसी चाऊ की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। तब बहस के दौरान यही दलील दी गई थी कि बर्ड फ्लू पर अंकुश के लिए विशेषज्ञों की राय को अहमियत दी जाए।
हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर विशेषज्ञों की लिखित राय मांगी थी। तब डॉ. जेएल वेगड सहित अन्य के मत सामने आए थे। हाई कोर्ट ने सभी मतों को रिकॉर्ड पर लेते हुए जनहित याचिका का महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों के साथ पटाक्षेप किया था। डेढ़ दशक पहले हाई कोर्ट ने बर्ड फ्लू पर प्रभावी अंकुश के सिलसिले में जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, उनके प्रकाश में ठोस कदम अब तक नदारद हैं। अब जबकि देश-दुनिया पहले से ही कोविड-19 के संक्रमण के खतरे से जूझ रहे हैं, तब बर्ड फ्लू का नया खतरा हलकान करने वाला है।