जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर के आसपास पहले भी कई बार पुरातत्व से संबंधित कई खोज हुईं हैं और प्राचीनकालीन से कई महत्वपूर्ण धरोहरें भी प्राप्त हुई हैं। इसी दिशा में एक बार फिर प्रयास किया गया है। जिसमें जबलपुर से 30 किलोमीटर दूर स्थित क्षेत्र निवास में स्टोनएज आदिमानव के हथियार और औजार प्राप्त हुए है। जो यहां आदिमानव होने का प्रमाण देते हैं। सिविल लाइन निवासी रोहित खन्ना ने हाल ही में यह खोज की है। रोहित एक सेवानिवृत्त सेल्स एग्जीक्यूटिव हैं और प्राचीन कालीन के सिक्के, नोट, ताम्रपत्र, पत्थर, हथियारों की खोेज कर उनका संग्रहण बीते करीब 25 सालों से कर रहे हैं। रोहित ने बताया कि आदि मानव हमेशा शरण व भोजन की व्यवस्था करने के लिए घूमते रहते थे। आदि मानव सभी प्रकार के जानवरों का शिकार करते थे और फलों की व्यवस्था करते थे। उन्होंने पत्थर को आकार देकर बडे नुकीले हथियार और औजार बनाए जिससे वे जानवरों का शिकार कर सकें और अपनी सुरक्षा कर सकें। उन्होंने कुल्हाडी, भाला व हथोड़ा पत्थरों को तोड़-तोड़ कर बनाया था।
दिन में करते थे शिकार : स्टोनएज आदिमानव दिन में शिकार करते थे और खाना एकत्रित करते थे और रात में गुफा या पेड़ पर सो जाते थे। गर्मियों में न के बराबर कपड़े पहनते थे और सर्दियों में जानवरों की खाल पहते थे। 1863 में वरिष्ठ जियोलाजिस्ट राबर्ट फुट ने पहली बार स्टोनएज हथियार व औजार की खोज की थी। रोहित खन्ना की स्टोनएज हथियार व औजार की इस खोज को डा. मुक्ति मिश्रा आक्रियोलोजिस्ट रादुविवि ने सत्यापित किया है। 21 साल पहले पूर्व प्रो.एसएन मिश्रा विभागाध्यक्ष आर्कियोलाजी विभाग रादुविवि ने भी स्टोनएज हथियार व औजार की खोज गौर नदी के किनारे जबलपुर में की थी। स्टोनएज को पेल्योथेनिक आदि मानव भी कहा जाता है।