
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 61 नहीं किए जाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मध्य प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। इसके बावजूद हाई कोर्ट के प्रशासनिक स्तर पर इसके लिए इन्कार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई व न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मध्य प्रदेश न्यायाधीश संघ की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई के आदेश में कहा था कि जिला न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष करने में कोई बाधा नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इसके लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दो माह का समय प्रदान किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद हाई कोर्ट के प्रशासनिक स्तर पर सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से मना कर दिया गया था। मप्र हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने याचिकाकर्ता एसोसिएशन के पदाधिकारी को मौखिक रूप से सूचित किया है कि सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की वर्तमान में कोई आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने प्रशासनिक आदेश की प्रति उपलब्ध नहीं कराई। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि हाई कोर्ट का आचरण अधीनस्थ न्यायपालिका के न्यायिक अधिकारियों के प्रति सौतेले व्यवहार को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।