
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायमूर्ति जायमाला बागची की युगलपीठ ने सागर के मालथोन के बहुचर्चित नीलेश आदिवासी आत्महत्या के मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को दो दिन के भीतर तीन आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए।
एसआईटी एक माह के भीतर जांच पूरी कर सक्षम कोर्ट में रिपोर्ट पेश करेगी। वहीं कोर्ट ने भाजपा कार्यकर्ता गोविंद सिंह राजपूत की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उन्हें एसआईटी को जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, मप्र हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत निरस्त होने के बाद गोविंद ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया था। गोविंद की ओर से अधिवक्ता विवेक रंजन पांडे ने पक्ष रखा।
उन्होंने दलील दी कि पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के साथी नीलेश को शराब पिलाकर मालथोन थाने ले गए। वहां पूर्व मंत्री का फोन आया और एसआई ने नीलेश से हस्ताक्षर करवा कर गोविंद सिंह राजपूत के विरुद्ध झूठी एफआईआर दर्ज करवाई।
होश आने पर गोविंद ने एसपी को आवेदन देकर यह स्वीकार किया कि पूर्व मंत्री के दबाव में उससे झूठी एफआइआर दर्ज करवाई गई है। आरोप है कि पूर्व मंत्री और उनके साथियों के लगातार टार्चर करने के कारण नीलेश ने 25 जुलाई 2025 को अपनी पत्नी रेवा आदिवासी के सामने आत्महत्या कर ली थी।
हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एफआईआर दर्ज की गई। इसमें गोविंद सिंह राजपूत को भी आरोपित बनाया गया। दलील दी गई कि पूर्व मंत्री को बचाने के लिए ऐसा किया गया। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मप्र हाई कोर्ट को भी लंबित याचिका का शीघ्र निराकरण करने कहा है।