जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में व्यवस्था दी कि मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी में पदस्थ दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की याचिका के लंबित रहने के दौरान उसकी सेवा शर्तें न बदली जाएं। इसी के साथ संस्कृति विभाग मंत्रालय व साहित्य अकादमी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया है।
न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता लता बाई की ओर से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी, आनंद कुमार शुक्ला व मुकेश बिरहा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता विगत 20 वर्ष से साहित्य अकादमी में दैनिक वेतन भोगी बतौर कार्यरत है। वर्ष 2016 में मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी कर निर्देशित किया कि शासन के सभी विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगियों को नियमित किया जाए। याचिकाकर्ता की नियमितीकरण की प्रक्रिया विगत चार वर्षों से विचाराधीन ही है, जबकि संस्कृति मंत्रालय के अधीन अन्य विभागों के याचिकाकर्ता के समकक्ष कर्मचारी नियमित कर दिए गए हैं। दूसरी तरफ याचिकाकर्ता को ठेका मजदूरी प्रणाली के अधीन लाया जा रहा है।
किसानों को 30 दिन के भीतर सीधे बैंक खाते में भुगतान करें : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसानों को 30 दिन के भीतर साधे बैंक खाते में भुगतान कर दिया जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो ब्याज सहित भुगतान करना होगा। यह जिम्मेदारी मध्य प्रदेश राज्य सहकारिता संघ और प्राथमिक सहकारी कृषि साख समिति को सौंपी गई है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता किसान हैं। सभी ने मेहनत करके गेहूं की फसल उगाई। प्राथमिक सहकारी कृषि साख समिति, सिहोरा ने उनकी फसल क्रय कर ली। साथ ही एक पर्ची दे दी कि सात दिन के भीतर सीधे बैंक खाते में भुगतान सुनिश्चित कर दिया जाएगा। लेकिन सात दिन क्या माह-दर-माह गुजरते चले गए और भुगतान नदारद रहा।