जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर के तमाम निजी अस्पतालों में अब तक का सबसे खर्चीला आपरेशन दमोहनाका स्थित मेट्रो हॉस्पिटल में किया गया। कटनी निवासी महिला की जान बचाने के लिए स्वजन ने एक ऑपरेशन में यहां 25-30 लाख रुपये खर्च किए। चिकित्सकों ने दावा किया है कि जिस पद्धति से आपरेशन किया गया वह मध्यभारत में पहली बार हुआ है। दरअसल, मेट्रो अस्पताल में 56 साल की महिला के ह्दय का वाल्व ट्रांस कैथेटर वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) पद्धति से बदला गया। जांघ के रास्ते वाल्व बदलने का मध्यभारत का यह पहला आपरेशन है। बड़ेरिया मेट्रो प्राइम मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में पत्रकार वार्ता में यह जानकारी चिकित्सकों ने दी। डायरेक्टर राजीव बड़ेरिया, ग्लोबल ग्रुप के चेयरमैन सौरभ बड़ेरिया, ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ. दिलीप तिवारी, डॉ. पुष्पराज पटेल उपस्थित रहे।
एक वाल्व में जन्मजात विकृति का पता चला : कैथलैब हार्ट सेंटर के मुख्य चिकित्सक डॉ. तिवारी व डॉ. पटेल ने बताया कि कटनी निवासी महिला चक्कर व बेहोशी आने तथा चलने फिरने के दौरान सांस फूलने की समस्या से पीडि़त थी। मेट्रो अस्पताल के कैथलैब में जांच के दौरान महिला के एक वाल्व में जन्मजात विकृति का पता चला। बाइसीपिड एओर्टिक वाल्व की बीमारी के कारण महिला का ह्दय बहुत कमजोर हो गया था तथा 20-25 फीसद ही काम कर रहा था। ह्दय कमजोर होने के कारण ओपन आपरेशन द्वारा वाल्व बदलने में जोखिम की जानकारी स्वजन को दी गई।
नई तकनीक के लिए तैयार हुए स्वजन : चिकित्सकों ने महिला के स्वजन को ट्रांस कैथेटर वॉल्व रिप्लेसमेंट पद्धति की जानकारी दी। उन्हें बताया गया कि बिना चीर फाड़ के जांघ की नस के रास्ते ह्दय तक पहुंचकर वाल्व रिप्लेसमेंट किया जा सकता है। स्वजन को बताया गया कि महानगरों में इस आपरेशन के लिए 35-40 लाख रुपये का खर्च आता है। देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही ट्रांस कैथेटर वॉल्व रिप्लेसमेंट की सुविधा है। स्वजन ने मेट्रो अस्पताल में ऑपरेशन कराने की सहमति दी।
पुराना निकालकर नया लगाया : चिकित्सकों ने बताया कि जांघ के रास्ते से ट्रांस कैथेटर डालकर दिल तक पहुंचने के बाद पुराना वॉल्व निकालकर वहां नया वॉल्व लगाया गया। इस दौरान दिल के आसपास जमा कैल्शियम भी निकाला जा सका। इस प्रक्रिया में एक घंटे से भी कम समय लगा तथा मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ. अमजद अली, डॉ. रूपेश श्रीवास्तव, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. सुनील जैन ऑपरेशन की टीम में शामिल रहे।
यह है फायदा : डॉ. तिवारी व डॉ. पटेल ने बताया कि वाल्व बदलने के लिए ट्रांस कैथेटर वाल्व रिप्लेसमेंट पद्धति काफी सुरक्षित व असरकार है। मरीज को बेहोश किए बगैर वाल्व बदला जा सकता है। वाल्व बदलने के एक दिन बाद मरीज चलने फिरने लगता है। प्रक्रिया में चीरा व टांका की जरूरत नहीं पड़ती। 2-3 दिन में मरीज को छुट्टी दी जा सकती है।