नईदुनिया, जबलपुर (Jabalpur News)। जबलपुर रेल मंडल में संरक्षा से लगातार खिलवाड़ हो रहा है, जिस वजह से एक के बाद एक हादसे हो रहे हैं। जबलपुर रेल मंडल के इटारसी रेलखंड पर ट्रेन के ड्राइवर की सर्तकता से सोमवार को एक बड़ा रेल हादसा होने से टल गया। दरअसल बागरातवा और गुर्रमखेड़ी स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक पर अचानक एक ट्रैक्टर फंस गया, इसी ट्रैक पर ट्रेन नंबर 20934 दानापुर-उधना एक्सप्रेस आ रही थी। इधर दूसरे ट्रैक से जा रही सोमनाथ एक्सप्रेस के लोको पायलट ने ट्रैक पर ट्रैक्टर फंसा देखा और तत्काल दूसरी ट्रेन के चालक दल को सतर्क किया गया।
जैसे ही ट्रैक पर ट्रैक्टर फंसे होने की जानकारी लगी, तत्काल दानापुर एक्सप्रेस के लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक लिया और बड़ा हादसा टल गया। बागरातवा और गुरमखेड़ी के बीच में एक ट्रैक्टर सुबह 10 बजे के लगभग रेलवे ट्रैक क्रॉस करते समय पटरी पर फंस गया। इससे सोमनाथ एक्सप्रेस और दानापुर एक्सप्रेस ट्रेन रोकनी पड़ गईं।
सोमनाथ एक्सप्रेस अप ट्रैक पर इटारसी से जबलपुर जा रही थी। बागरातवा और गुरमखेड़ी के बीच लोको पायलट को बीच में डाउन ट्रैक पर ट्रैक्टर पटरी क्रॉस करते दिखाई दिया। यह देखकर उसने स्पीड कम करते हुए ट्रेन रोक दी। गार्ड ने गुरमखेड़ी रेलवे स्टेशन को सूचना दी. स्टाफ ने उतर कर देखा, तो ड्राइवर ट्रैक्टर छोड़कर भाग गया। लोको पायलट ने कंट्रोल रूम को सूचना दी. दूसरे ट्रैक पर आने वाली ट्रेन के पायलट को अलर्ट करने एक किमी आगे जाकर पटाखे फोड़े। जिसके बाद दूसरी ट्रेन को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोक दिया गया।
कुछ देर बाद ट्रैक्टर ड्राइवर ने ट्रैक्टर निकाला और वहां से भाग निकला। न तो आरपीएफ पकड़ सकती और न ही ट्रैकमेन को ड्राइवर की जानकारी लगी। ट्रेन ड्राइवर से जैसे ही जानकारी कंट्रोल रूम को मिली तत्काल स्टेशन उप प्रबंधक अमर बहादुर यादव ने तीसरे सिग्नल को रेड कर दिया वहीं एक किमी पहले पटाखा भी फोड़ दिया, जिससे ड्राइवर ने तुरंत ही इमरजेंसी ब्रेक लगाया और हादसा टल गया। पिपरिया आरपीएफ के इंस्पेक्टर गोपाल मीणा के मुताबिक ट्रैक्टर ड्राइवर की तलाश की जा रही हैं. उसके खिलाफ रेलवे एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
जबलपुर रेल मंडल में रेल हादसों की संख्या रुकने का नाम नहीं ले रही है। तीन दिन पूर्व जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म छह पर आेवरनाइट एक्सप्रेस के दो कोच पटरी से उतर गए। इस घटना में रेलवे ट्रैक के प्वाइंट में खराबी को वजह बताया गया। इस पूरे मामले में आपरेटिंग, मैकेनिकल और इंजीनियरिंग विभाग, एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं।
कुछ दिन पूर्व दमोह के पास मालगाड़ी के डिब्बे पटरी से उतर गए। यह हादसा इतना भयावर था कि इस वजह से लगभग पांच सौ मीटर का रेलवे ट्रैक खराब हो गए और लगभग 12 से 18 घंटे तक रेल यातायात प्रभावित रहा। इधर पश्चिम मध्य रेलवे की महाप्रबंधक शोभना बंदोउपाध्यय और जबलपुर रेल मंडल के डीआरएम विवेक शील, सप्ताह में दो दिन रेलवे संरक्षा की बैठक लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश दे रहे हैं।
करोड़ो रुपये ट्रैक की संरक्षा के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं, बावजूद रेल हादसे रूकने की बजाए बढ़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर रेलवे ने इन घटना की जांच के लिए जो भी जांच एजेंसी बनाई, उसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई। इसकी वजह से घटना के दोषी ही सामने नहीं आ पा रहे हैं और हर बार रेलवे की दोषियों को बचाने के लिए जांच रिपोर्ट को गोपनीय रखता है।