Jabalpur News : नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। बीते साल एक के बाद एक रेल दुर्घटनाओं ने रेलवे और संरक्षा-सुरक्षा का काम संभाल रहे अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। इन घटनाओं में खास बात यह रही कि ज्यादातर घटनाएं सिग्नल को नजरअंदाज करने से हुईं। इससे निपटने के लिए आधुनिक सिग्नल से लेकर साफ्टवेयर से चलने वाले प्वाइंट लगाए गए। सैकड़ों यात्री ट्रेनों को रद कर पटरियों की मरम्मत का काम तेज कर दिया गया । बावजूद इसके ट्रेनें सिग्नल तोड़ने की घटनाएं कम नहीं हो रही। यही हाल पश्चिम मध्य रेलवे जोन में है, भोपाल मंडल के गंजबसौदा में राजधानी एक्सप्रेस रेल सिग्नल ताेड़कर आगे बढ़ गई तो वहीं जबलपुर मंडल के ड्राइवर की लापरवाही से मदरहा स्टेशन पर गोदान एक्सप्रेस ने रेड सिग्नल पार कर दिया। पमरे की नई महाप्रबंधक शोभना बंदोपाध्याय के प्रभार संभालने के बाद हुई इन दोनों सिग्नल तोड़ने की घटनाओं के बाद हड़कंप मचा हुआ है। संरक्षा को लेकर सिर्फ समीक्षा बैठक शुरू हो गई हैं।
पमरे में महाप्रबंधक की जिम्मेदारी संभालने के बाद इन दिनों जीएम शोभना बंदोउपाध्याय जबलपुर, कोटा और भोपाल का दौरा कर रही हैं। शुक्रवार को वे भोपाल दौरे पर थीं । इन दौरान भी उन्होंने ऐसी घटनाओं को गंभीरता लिया और इनकी समीक्षा की। रेल संरक्षा से जुड़े अधिकारियों के साथ उन्होंने बैठक भी की, ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। इधर सिग्नल और प्वाइंट से जुड़े अधिकारियों ने इनके मेंटनेंस में निजी कर्मचारियों द्वारा की जा रही लापरवाही को लेकर नाराजगी जताई है। हालांकि इस साल बड़ी रेल दुर्घटनाओं की वजह सिग्नल तोड़ना ही रहा, इस वजह से इन दिनों पमरे ने इन घटनाओं को लेकर अधिकारियों की जमकर क्लास लेना शुरू कर दिया है।
हाल ही में ट्रेन ड्राइवर द्वारा रेड सिग्नल को नदरअंदाज करने की घटनाएं बढ़ी हैं। पश्चिम मध्य रेलवे जोन में भोपाल, कोटा और जबलपुर में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें ट्रेन ड्राइवर से रेड सिग्नल पार कर दिया। इसके बाद इनके खिलाफ जांच भी हुईं, लेकिन अधिकांश मामलों में सामने आया कि ड्राइवर से लगातार कराए जा रहे काम भी इसकी एक वजह हैं। सूत्रों की माने तो कई बार रेड सिग्नल के आसपास कई बाधाएं होने की वजह से भी दिक्कतें आ रही हैं। इधर ड्राइवर लगातार ट्रेन चलाने की वजह से उनके देखने की क्षमता भी प्रभावित हो रही हैं, लेकिन जब रेल अस्पताल में उनकी जांच की जाती है तो ड्राक्टर पर यह दबाव रहता है कि उन्हें हर हाल में मेडिकल अनफिट न करें।
हाल यह है कि पमरे के हेड क्वार्टर में बने पावर कंट्रोल में पांच लोग काम कर रहे हैं, लेकिन वहीं लाइन में काम करने के लिए ड्राइवर नहीं है। इधर स्पेशल और वीकली ट्रेनों की संख्या भी रेलवे ने इन दिनों बढ़ा दी है। जबलपुर मंडल से ही 20 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं। इस वजह से ड्राइवर 10 से 12 घंटे काम कर रहे हैं। इस वजह से ड्राइवर लगातार थक रहा है। उनमें तनाव भी बढ़ रही है। जानकार बताते हैं कि इसका ही यह दुष्परिणाम सामने आ रहा है। वहीं दूसरी ओर अपनों को फील्ड पर न भेजने के कारण कई असि. लोको पायटल को बाबू बना दिया है। वहीं मेडिकल अनफिट होने वालों लोको पायलटों की संख्या बढ़ गई है। इस साल लगभग 15 से ज्यादा लोको पायटल अनफिट होकर दूसरे विभागों में काम करने लगे हैं। वहीं लोको पायलटों को बाबू के काम नहीं दिए जा रहे हैं।