
Jabalpur News : जबलपुर नईदुनिया प्रतिनिधि। पश्चिम मध्य रेल द्वारा मानसून आने के पहले से ही व्यापक स्तर पर तैयारी शुरू कर दी गई थी। मानसून में ट्रेनों का संचालन सुचारू रूप से होगा। पश्चिम मध्य रेल द्वारा जबलपुर, भोपाल, कोटा रेल मंडल में मानसून के मद्देनजर सभी 297 स्टेशनों पर पेड़ों की छटिंग कर उन्हें हटाया गया है। ट्रैक के किनारे की नालियों में जमी रेतों को हटाने के साथ-साथ नालियों के ड्रेनेज भी साफ कर किया है, जिससे मानसून का पानी पटरियों पर ना आ सके।
पश्चिम मध्य रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग ने सतर्कता के तौर पर सभी पुलों पर सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए हैं। वहीं सुबह 6 बजे और शाम को 6 बजे, दोनों वक्त ब्रिज का जल स्तर देखा जा रहा है। रेलवे स्टेशनों के समीप रेलवे टंकियों की साफ-सफाई का कार्य सिंचाई के कर्मचारियों के साथ सयुंक्त रूप से पूरा किया गया है। वहीं पीडब्ल्यूआई और रेलवे के मैदानी अमले के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा रेलवे के सभी महत्वपूर्ण बड़े और छोटे पुलों का निरीक्षण पिछले वर्ष के मानसून के बाद किया गया था और सुरक्षा की दृष्टि से पुलों को मरम्मत सुधार करके समय से पहले ही ठीक कर दिया गया है।
पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि रेलवे के इंजीनियरिंग और टीआरडी अधिकारियों के साथ संयुक्त निरीक्षण के दौरान चिन्हित किए गए, जो रेल यातायात में तेज हवाओं के प्रभाव से बाधा उत्पन्न करने वाले पेड़ों की छटिंग कर दी गई है। रेलवे ट्रैक पर बने 16 महत्वपूर्ण पुलों जबलपुर मण्डल (कोरनी, नर्मदा, सतना और दासन), भोपाल मण्डल (काली मचक,नर्मदा, बेतवा पर 2 और बीना), कोटा मण्डल (मेज,बड़ी बानस, छोटी बानस, मोरेल, गम्भीर पर 2 और जग्गर) नदियों के समीप स्थापित स्टेशनों पर एनीमोमीटर (मौसम चेतावनी उपकरण) की स्थिति को परीक्षण कर लिया जाता है। इस महत्वपूर्ण उपकरण के द्वारा यदि तेज हवाएं 72 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है तो इसकी सूचना समीपवर्ती स्टेशनों पर मिल जाती है।
बाढ़ के खतरों को मापने के लिए बाढ़ गेज यंत्र निगरानी प्रणाली को 19 महत्वपूर्ण पुलों जबलपुर मण्डल (नर्मदा, कोपरा, बरमी, हिरन एवं महानदी), भोपाल मण्डल (मचक ब्रिज, दादूरा, नर्मदा, बेतवा,बीना, कालीसिंध,झाकली ब्रिज,पार्वती ब्रिज), कोटा मण्डल ( शिप्रा, छोटी कालीसिंध, कालीसिंध, पार्वती, बानस,गम्भीर) पर सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है, जिसे प्रणाली के द्वारा मानसून सीजन में दिन में दो बार पुलों पर पानी के स्तर का संदेश समीपवर्ती मैदानी अमले एवं स्टेशनों को भेजा जाता है।