मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने अपने नर्मदा पुरम और कुक्षी स्थित 220 केव्ही सबस्टेशनों में एक नया 160 एमव्हीए क्षमता का पावर ट्रांसफार्मर स्थापित किया है, जिसमें नवाचार करते हुये इसमें अत्याधुनिक तकनीक की बुशिंग का उपयोग किया है। पूर्व में आइल एवं पेपर माध्यम वाली बुशिंग अपने स्वभाव के कारण नमी सोख लेती थी, जो पावर ट्रांसफार्मर फेल्युअर की एक बडी वजह है, पर इस नई रेसिन इम्प्रीग्नेटेड पेपर बुशिंग में रेसिन माध्यम रहता है, जो लंबे समय तक बुशिंग के मूल अंदरूनी पेरामीटर्स टेन डेल्टा (कुचालक क्षमता) को अप्रभावित रखता है, जिससे ट्रांसफारमर्स के अचानक फेल होने की संभावना न्यूनतम हो जाती है, इस नई तकनीक के उपयोग से ट्रांसफार्मर के बुशिंग फेल्युअर के कारण होने वाले व्यवधान में कमी आयेगी। साथ ही ट्रांसमिशन सिस्टम की उपलब्धता में विश्वसनीयता बढेगी। कंपनी के मुख्य अभियंता अजय श्रीवास्तव ने बताया कि वर्षो से चली आ रही परंपरागत बुशिंग को बदलने की चुनौती को मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रोक्योरमेंट संकाय के अभियंताओं ने स्वीकार किया और कई दिनों की मेहनत के बाद कार्यपालन अभियंता इकबाल खान ने विश्व के विभिन्न हिस्सों में उपयोग हो रही इन बुशिंगो की कार्यप्रणाली और विभिन्न केस पेपरों का अध्ययन कर सुरक्षित और प्रभावी तकनीकी डेटा तैयार करने में सफलता हासिल की है। मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन ने अब अपने 220 केव्ही और 400 केव्ही के वोल्टेज स्तर के ट्रांसफामर्स में इन अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित बुशिंग का उपयोग करना प्रारंभ किया है, जिसे बाद में 132 के.व्ही. वोल्टेज लेबल के ट्रांसफारमर्स में भी उपयोग किया जाएगा।