जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। सर्दी व बुखार से पीडि़त मरीजों से अस्पतालों के वार्ड फुल हो रहे हैं। जिला अस्पताल विक्टोरिया में नए मरीजों के लिए फर्श पर बिस्तर लगाना पड़ रहा है। इन मरीजों में सर्वाधिक संख्या डेंगू के लक्षण वाले मरीजों की है जिनके रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा घट रही है। विक्टोरिया व मेडिकल कालेज अस्पताल में ऐसे 100 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। निजी अस्पतालों में भी डेंगू मरीजों के उपचार के लिए बिस्तर की मारामारी शुरू हो गई है। डेंगू के गंभीर खतरे के बीच सरकारी व निजी अस्पतालों के ब्लड बैंक में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) का संकट सामने आ गया है। एसडीपी के अभाव में प्लेटलेट्स के लिए ब्लड बैंकों में मरीजों के स्वजन की भीड़ लगी है। बताया जाता है कि किट के अभाव में मरीजों को सिंगल डोनर प्लेटलेट्स नहीं मिल पा रहा है। इधर, रांझी व राधाकृष्णन वार्ड के बाद अधारताल, गढ़ा व गौर में डेंगू के नए मरीज सामने आ रहे हैं। इधर, दवा दुकानों से सीधे दवा खरीदकर स्वजन बुखार व अन्य लक्षण वाले मरीजों का उपचार कर रहे हैं जिससे खतरा और बढ़ गया है।
मेडिकल, एल्गिन व निजी ब्लड बैंक में भीड़ लगी: डेंगू से पीडि़त तमाम मरीजों के रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा 10 हजार से भी कम हो गई है। ऐसे मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सकों ने एसडीपी चढ़ाने की सलाह दी है। चिकित्सकों का कहना है कि एक यूनिट एसडीपी से डेंगू मरीज के रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा 50-60 हजार तक बढ़ जाती है। जिससे मरीज की जान पर जोखिम का खतरा कम किया जा सकता है। रविवार को एल्गिन, मेडिकल व निजी ब्लड में एसडीपी के लिए मरीजों के स्वजन की कतार लगी रही। जहां किट के अभाव में उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा।
खाली पड़े प्लाटों में पल रहे मच्छरों से बढ़ा खतरा: शहर के रहवासी क्षेत्रों में जहां-तहां पड़े खाली प्लाटों में भरा बरसात का पानी डेंगू का खतरा बढ़ा रहा है। प्लाटों के मालिक पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं कर रहे हैं। जिसके चलते खाली प्लाटों के आसपास रहने वाले परिवार मच्छरों के डंक से परेशान हैं। विक्टोरिया अस्पताल के भेषज विशेषज्ञ डॉ. संदीप भगत ने बताया कि डेंगू के मच्छरा साफ पानी में पैदा होते हैं। खाली पड़े प्लाटों में बरसात का पानी भरने से मच्छरों के पैदावार की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए खाली पड़े प्लाटों में पानी का जमाव नहीं होने देना चाहिए।
पांच लीटर पानी का सेवन, काढ़ा से बचें: मेट्रो हास्पिटल के भेषज विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र राजपूत ने बताया कि डेंगू ग्रस्त मरीजों अथवा स्वजन को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन के हिसाब से प्लेटलेट्स की मात्रा 10 हजार से कम होने अथवा रक्तस्त्राव की स्थिति में ही मरीज को अलग से प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता रहती है। इसलिए डेंगू ग्रस्त मरीज को पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। इस दौरान काढ़ा के सेवन से बचना चाहिए। डेंगू के तमाम मरीज काढ़ा सेवन के कारण डिहाइड्रेशन की चपेट में आ आते हैं। इस स्थिति में शरीर में पानी की कमी हो जाने से गंभीर जोखिम के दौर से गुजरना पड़ सकता है। डॉ. राजपूत ने बताया कि ओवर द काउंटर खरीदी जाने वाली दवाएं मरीजों के लिए खतरा बन सकती हैं। आकस्मिक परिस्थिति में ओवर द काउंटर दवा खरीदने की स्थिति में सिर्फ पैरासीटामाल खरीदना चाहिए। इस दवा के साथ मरीज ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी का सेवन कर डेंगू के गंभीर खतरे से बच सकते हैं।
प्लेटलेट्स की कमी रोकने एक्शन प्लान, पूछी जाएगी वजह: प्रशासन ने निर्णय लिया है की डब्ल्यूएचओ की गाइड लाइन के अनुसार 10 हजार से कम काउंट होने पर प्लेटलेट लगाना चाहिए या 10,000 से अधिक काउंट होने पर भी यदि ब्लीडिंग हो रही है तब। जिले के लिए मापदंड निर्धारित किया गया कि 20 हजार से कम प्लेटलेट काउंट होने पर प्लेटलेट दी जाए। इसके अतिरिक्त सभी प्राइवेट अस्पतालों को निर्देशित किया गया है कि एसडीपी के साथ ऑब्लिक में पीआरपी भी लिखा जाए। इसके साथ ही साथ हॉस्पिटल वालों को ब्लड बैंक हेतु रिक्विजिशंस देते समय लेटेस्ट प्लेटलेट काउंट की रिपोर्ट भी लगाना अनिवार्य किया गया है। ब्लड बैंक्स को निर्देश दिए गए कि प्लेटलेट काउंट 20 हजार से अधिक की रिपोर्ट लाने पर निजी हॉस्पिटल को प्लेटलेट लगाने का विशेष कारण बताना होगा। ब्लड बैंक से प्रतिदिन रिपोर्टिंग ली जाएगी।