Makar Sankranti 2024 : जबलपुर, नई दुनिया प्रतिनिधि। संस्कारधानी में प्रत्येक पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को लेकर लोगों में विशेष उत्साह है। हर कोई अपने-अपने तरीके से मकर संक्रांति का पर्व मनाने की तैयारी में जुटा है। इस वर्ष यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। संक्रांति पर तिल व गुड़ का महत्व होता है। महिलाएं तिल-गुड़ के लड्डू व बर्फी बना रही हैं।
महाराष्ट्र समाज में बुजुर्गों बच्चों को तिल गुड़ की बर्फी खिलाने की खास परंपरा है। वहीं बंगाली समाज में पर्व पर पीठे बनाए जाते हैं। इस तरह से हर वर्ग मकर संक्रांति पर खास तैयारी में जुटा है। युवाओं और बच्चों में पतंगबाजी को लेकर खासा उत्साह है। महिलाएं घर पर तिल-गुड़ के लड्डू बनाने में जुट गई है। साथ ही मकर संक्रांति पर तिल दान का महत्व होता है। इस वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा।
प्रियंका जैन ने बताया कि ठंड के दिन में तिल और गुड़ खाना स्वास्थ्य के बेहतर होता है। ठंड में मेवे के लड्डू भी बनाते है। संक्रांति पर तिल-गुड़ का विशेष महत्व है। इसलिए तिल की बर्फी बनाने वाली हूं। घर में सभी को तिल की बर्फी भाती है। पहले से बच्चे बर्फी की डिमांड कर रहे है। तिल और गुड़ दोनों की तासीर गर्म होती है। ऐसे में इन्हें खाना सेहत के लिए फायदेमंद होगा।
हमारे ग्रुप में मकर संक्रांति खूब धूमधाम से मनाई जाती है। हर कोई एंजाय करता है। हर काेई अपने घर की छत से पतंग उड़ाता नजर आता है। अब तो संक्रांति का पर्व पंतगबाजी के कारण और प्रिय हो गया है। बाजार में बच्चों के लिए कार्टून वाली पतंगो की डिमांड है।
रोशनी खत्री ने कहा कि मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी आदि को लेकर शहर में तैयारियां शुरु हो गई है। इन दिनों हर कोई तिल-गुड़ के लड्डू व अन्य पकवान बनाने में लगा हुआ है। त्योहारों पर पकवान की विशेष धूम होती है। हमारा शहर संस्कारधानी के नाम से जाना जाता है। किसी भी पर्व को सादे तरीके से नहीं मनाया जाता है।
हर पर्व को लेकर हर उम्र वर्ग को लेकर उत्साह रहता है। आज का समय इंटरनेट मीडिया का है। इसलिए सबसे ज्यादा फोटोसेशन होता है। मकर संक्रांति हर समाज के लोग अपने तरीके से मनाते हैं। घरों से तिल और गुड़ की महक आ रही है। महिलाएं लड्डू बनाने में जुट गई है। ताकि संक्रांति अच्छे से एंजाय कर सकें।
हरे कृष्णा आश्रम, भेड़ाघाट में रविवार, 14 जनवरी को मकर संक्रांति 51 क्विंटल खिचड़ी का भंडारा होगा। यह परंपरा 29 वर्ष से अनवरत है। आश्रम के संस्थापक स्वामी रामचंद्र दास महाराज के सानिध्य में भगवान राधाकृष्ण को प्रथम भोग लगाकर खिचड़ी का महाभोग नर्मदा भक्तों, श्रद्धालुओं को वितरित किया जाएगा। अध्यक्ष शरद अग्रवाल ने बताया दिन भर आश्रम में संकीर्तन, भजन, कवि सम्मेलन का आयोजन होगा।
आश्रम के व्यवस्थापक नर्मदा महाआरती के संस्थापक डा. सुधीर अग्रवाल ने बताया 11 किलो खिचड़ी से चालू किया गया भंडारा धीरे-धीरे 51 क्विंटल पर पहुंच गया है। हजारों की संख्या में गांव से लोग आते हैं। महाप्रसाद का भोग पाते हैं, यह 30 वा भंडारा है। महाराज ने कहा मकर संक्रांति पर्व तिल-गुड़ खाकर आपस में मतभेद भुलाकर खुशी मनाने का दिन है। .वि.