Bhagoriya 2025: झाबुआ-आलीराजपुर में भगोरिया की शुरुआत, जानिए गांवों में किस दिन लगेगा हाट
झाबुआ-अलीराजपुर जिले में भगोरिया हाट(Bhagoria Haat) की शुरुआत हो गई है। यह आदिवासी अंचल का एक महत्वपूर्ण लोक उत्सव है, जो होली से एक सप्ताह पहले मनाया जाता है। भगोरिया हाट में आदिवासी समाजजन पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होते हैं और ढोल-मांदल की थाप व बांसुरी की तान के साथ नृत्य करते हुए गेर निकाली जाती है।
Publish Date: Fri, 07 Mar 2025 02:12:20 PM (IST)
Updated Date: Sat, 08 Mar 2025 12:06:33 AM (IST)
भगोरिया हाट में लोग पारंपरिक वेशभूषा में झूमने पहुंचे। फाइल फोटोHighLights
- भगोरिया हाट आदिवासी संस्कृति का प्रतीक है और झाबुआ-अलीराजपुर जिले की शान है।
- सभी पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-मांदल की थाप व बांसुरी की तान के साथ नृत्य करते हैं।
- हाट का आयोजन झाबुआ-अलीराजपुर जिले में होली से एक सप्ताह पहले किया जाता है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, झाबुआ/आलीराजपुर(Bhagoriya Mela 2025)। आदिवासी अंचल लोक परंपरा के सांस्कृतिक उत्सव के उल्लास में रंग गया है। आज से झाबुआ-आलीराजपुर जिले में साल के सबसे बड़े लोक उत्सव भगोरिया हाट की शुरुआत हो गई है। मांदल की थाप और बांसुरी की तान पर निकलने वाली रंगारंग गेर में पाररंपरिक आदिवासी नृत्य की छटा बिखर रहे हैं।
उत्सव में शामिल हर कोई थिरकने को मजबूर हो गया। आदिवासी अंचल में होली से एक सप्ताह पूर्व से भगोरिया का रंग जमने लगा है। काम के लिए अन्य प्रांतों में पलायन कर गए ग्रामीण भी अब लौटने लगे हैं। लोक उत्सव को लेकर पुलिस ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है।
भगोरिया हाटों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
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पुलिस का कहना है कि भगोरिया हाटों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। भगोरिया में हथियारों के प्रदर्शन को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक संदेश अथवा ऑडियो-वीडियो वायरल करने पर भी सख्त कार्रवाई होगी।
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भगोरिया उत्सव में निकलती है गेर
बता दें कि आदिवासी अंचल में होली से एक सप्ताह पूर्व से नगर, कस्बे व ग्राम में हाट बाजार के दिन भगोरिया हाट की परंपरा रही है। यह लोक पर्व देश-विदेश में मशहूर है। भगोरिया हाट में आदिवासी समाजजन पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होते हैं तथा ढोल-मांदल की थाप व बांसुरी की तान के साथ नृत्य करते हुए गेर निकाली जाती है।
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यह गेर भगोरिया का सबसे बड़ा आकर्षण है। इसमें आदिवासी समाज की पुरातन पारंपरिक संस्कृति के रंग बिखरते हैं। यही कारण है कि देश के साथ ही विदेश से भी लोग भगोरिया उत्सव देखने के लिए आते हैं।
कब-कहां पर भगोरिया हाट
- 07 मार्च- वालपुर, कट्ठीवाड़ा, उदयगढ़, भगोर, बेकल्दा, मांडली व कालीदेवी।
- 08 मार्च- नानपुर, उमराली, राणापुर, मेघनगर, बामनिया, झकनावदा व बलेड़ी।
- 09 मार्च- छकतला, कुलवट, सोरवा, आमखुट, झाबुआ, झिरण, ढोल्यावाड़, रायपुरिया, काकनवानी व कनवाड़ा।
- 10 मार्च- आलीराजपुर, आजादनगर, पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर, रजला, बड़ा गुड़ा व मेड़वा।
- 11 मार्च- बखतगढ़, आंबुआ, अंधारवाड़, पिटोल, खरडू, थांदला, तारखेड़ी व बरवेट।
- 12 मार्च- बरझर, खट्टाली, चांदपुर, बोरी, उमरकोट, माछलिया, करवड़, बोड़ायता, कल्याणपुरा, मदरानी व ढेकल।
- 13 मार्च- फुलमाल, सोंडवा, जोबट, पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई व चौनपुरा।