12 बजते-बजते तो हाट खचाखच भर जाते हैं। मुख्य समय 12 से 3 बजे का ही रहता है। हाट में आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। वहीं मेहनतकश लोगों का उत्साह इस सांस्कृतिक पर्व को लेकर चरम पर होता है।
ये रहेगा कार्यक्रम
16 मार्च : उमरकोट, माछलिया, करवड़, बोरायता, कल्याणपुरा, मदरानी और ढेकल।
17 मार्च : पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई और चैनपुरा।
18 मार्च : कालीदेवी, भगोर, बेकल्दा और मांडली।
19 मार्च : मेघनगर, रानापुर, बामनिया, झकनावदा और बलेड़ी।
20 मार्च : झाबुआ, रायपुरिया, काकनवानी और कनवाड़ा।
21 मार्च : पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर और रजला।
22 मार्च : अंधारवड़, पिटोल, खरड़ू, थांदला, तारखेड़ी और बरवेट।