झाबुआ (नईदुनिया प्रतिनिधि) शहर के बावन जिनालय में चातुर्मास के तहत कई धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। मुनि श्री रजतचन्द्र विजयजी ने महाविदेह क्षेत्र की भाव यात्रा के शुभारंभ पर आशीर्वचन दिए। शनिवार को रेणु कमलेश कोठारी की अठाई तपस्या निमित्त वरघोड़ा उनके निवास स्थान से निकला। इसमें मुनिराज श्री रजत चन्द्र विजयजी और मुनिराज जीतचन्द्र विजयजी ने अपनी निश्रा प्रदान की। समाजजन भी सम्मिलित हुए। वरघोड़ा श्री ऋषभदेव बावन जिनालय पहुंचा। जिनालय में तपस्वी द्वारा पूजा-अर्चना की गई।
प्रवचन हॉल में धर्मसभा का शुभारंभ मुनिश्री के मंगलाचरण से हुआ। लाभार्थी परिवार कमलेश कोठारी आदि सदस्यों ने आचार्य ऋषभचन्द्र सूरीजी की तस्वीर पर दीप प्रज्वलन कर माल्यार्पण किया। गुरु वंदना मनोहर छाजेड़ ने करवाई। इसके बाद प्रभु सीमंधर स्वामी महाविदेह क्षेत्र की भाव यात्रा प्रारम्भ की गई। भाव यात्रा की शुरुआत लाभार्थी कोठारी परिवार ने मनोहारी चौमुखी प्रभु सीमंधर स्वामी की प्रतिमा समक्ष गहुली श्रीफल, अक्षत से की गई। मुनिश्री की प्रार्थना गीत और स्तवन, सीमंधर स्वामी के पास हमें जाना है, से भाव यात्रा प्रारभ हुई।
मुनिश्री रजतचन्द्र विजय जी ने इस अवसर पर कहा कि शुद्घ भाव से जो भी व्यक्ति महाविदेह क्षेत्र में पहुंच कर साक्षात विचरण कर रहे प्रभु सीमंधर स्वामी के दर्शन वंदना करता है, वह पुण्यवान है। भाव यात्रा श्रध्दा से करने पर भव यात्रा में कमी आती है। हमें भाव से यह भी प्रार्थना करना चाहिए कि हमारा अगला जन्म महाविदेह क्षेत्र में हो, जहां प्रभु सीमंधर स्वामी विचरण करते हैं। मुनिश्री ने महाविदेह क्षेत्र की विस्तॄत जानकारी देते हुए बाताया कि कुल 5 महाविदेह क्षेत्र होते हैं और तीर्थंकर प्रभु हमेशा महाविदेह क्षेत्र मे रहते हैं। बीज के दिन चंद्रमा भी महाविदेह क्षेत्र में रहता है। भारत क्षेत्र जहां हम रहते हैं, के सबसे पास महाविदेह क्षेत्र है। पवित्र आत्मा की शक्ति प्राप्त कर ही हम सीमंधर स्वामीजी की यात्रा भाव से करने से पापों का नाश होता है। उनके सम्मुख करोड़ों देव भी शीश नमाते हैं।
तपस्वियों का बहुमान हुआ
मुनिश्री ने कहा कि संसार में आगे बढ़ो किंतु पाप में पीछे रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम संसार में इसलिए नहीं भ्रमण कर रहे कि हमने धर्म कम किया, बल्कि इसलिए भ्रमण कर रहें क्योंकि पाप कार्य ज्यादा किया। इसके बाद भाव से महाविदेह क्षेत्र पहुंच कर भाव से मुनिद्वय ने चैत्यवंदना करवाई। निखिल भंडारी ने संगीत मंडल को सहयोग किया। प्रभु की आरती भी उतारी गई। भाव यात्रा समाप्त होते ही दूसरे सत्र में 8 उपवास की तपस्वी रेणु कमलेश कोठारी को विजय तिलक, विनस कटारिया ने 8 उपवास की तपस्या की बोली लेकर लगाया। इसके पश्चात शाल, श्रीफल और अभिनंदन पत्र भेंट कर चातुर्मास समिति ने किया। साथ ही हेमेन्द्र सूरी मंडल, राजेन्द्र जयंत नित्य विहार धाम, नवकार ग्रुप और अन्य संस्थाओं ने तपस्वी का बहुमान किया। अंत में समस्त कार्यक्रम के लाभार्थी कमलेश कोठारी परिवार का बहुमान चातुर्मास समिति ने किया। संचालन मनोज जैन मनोकामना ने किया।