'शिवजी कहलाते हैं पशुपतिनाथ'
- शिवपुराण पूर्णाहुति पर निकली पोथी यात्रा
पेटलावद। नईदुनिया न्यूज
ब्रह्माजी से लेकर स्थावर पर्यंत जो संसार के प्राणी है, वे सब शिवजी के पशु कहलाते है और शिव उन सबके पति कहलाते है। शिवजी अपने पशुओं को माया आदि पाशों में बांधते है। उनकी भक्ति करने से वे पाशों से मुक्त करते है। सारा संसार उनसे प्रेरित होकर सभी प्रकार के कार्य करते है। अतः प्राणी उनके पशु है और वे पशुपति नाथ है।
ये विचार शिवपुराण कथा के अंतिम दिन कथावाचक पं.प्रफुल्ल शुक्ला ने भक्तों के सामने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र ,महेश तथा सदा शिव ये शिव की पांच मूर्तियां है। इससे संसार विस्तार को प्राप्त हुआ है। संसार में कोई भी वस्तु ऐसी नहीं है जो पांच मूर्तियों से भिन्न हो। इंसान, पुरुष, अघोर, वामदेव और सद्योजात ये शिव की पांच ब्रह्म मूर्तियां है। यह पांचों मूर्तियां कल्याणकारक हैं।
वेद का सार तत्व
विद्वान वक्ता ने बताया कि 'नमःशिवाय' पंचाक्षर मंत्र वेद का सार तत्व है। मोक्ष देना वाला हैं शिव की आज्ञा से यह मंत्र सिद्ध है तथा शिव स्वरूप है। यह मंत्र मन को पवित्र करने वाला है। शिव का यह गंभीर वचन है। इस मंत्र का उच्चारण करने से सभी के मनोरथ पूर्ण होते है। इस मंत्र के पूर्ण में ॐ लगाने से यह षडक्षर मंत्र हो जाता है। यह समस्त मंत्रों का बीज है। सारे मंत्र इसी से निकले है। भगवान शिव संसार दोषों के शत्रु है, वे नहीं होते तो संसार अंधकार रूप हो जाता। अंधकार को दूर करने वाले वे ही है, वे ही संसार पर अनुग्रह करने वाले है।
नाचते-गाते यात्रा का आनंद लिया
शिवपुराण पूर्णाहुति के अवसर पर भक्तों ने मिलकर नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर से पं. शुक्ला के घर तक पोथी यात्रा निकाली। इसमें पोथी को सिर पर रखकर और पं. शुक्ला का विशेष श्रंगार कर उन्हें विदाई दी गई। इस मौके पर भक्तों ने भजन करते हुए नाचते-गाते यात्रा का आनंद लिया और महाआरती का आयोजन कर विशेष पूजा अर्चना कर महाप्रसादी वितरण कर विदाई दी।
पूजा-अर्चना कर उजमनी
मनाई, पौधारोपण किया
पेटलावद। नईदुनिया न्यूज
बारिश की लंबी खेंच से चिंतित आमजन ने रविवार को उजमनी का कार्यक्रम आयोजित कर घर से बाहर खेतों पर खाना बनाया और भगवान की पूजा अर्चना कर उन्हें मनाने का प्रयास किया। क्षेत्र में लगभग 1 माह से पानी नहीं गिर रहा है। फसलों की बढ़त रुकी हुई है। हर कोई परेशान है। यहां तक कि पेयजल समस्या भी उत्पन्न हो रही है। अब किसी के पास कोई अन्य उपाय नहीं बचा तो भगवान को मनाने के प्रयास किए जा रहे है। इसके चलते नगर के अधिकांश किसान परिवारों ने अपने कामकाज बंद रख कर जंगल में अपने खेतों पर जा कर भगवान को मनाने के लिए भोजन बनाया और उनकी पूजा-अर्चना की। जिसमें विशेष रूप से चुरमें का भोग लगाया।
उजमनी मनाने के साथ साथ आमजन ने अपने खेतों के आसपास पौधारोपण भी किया। कृषक मोहन पड़ियार और गोपाल पड़ियार ने बताया कि भगवान को मनाने के लिए उजमनी तो कर ही रहे है, साथ ही हमें प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए पौधारोपण करना अत्यधिक आवश्यक है। आज प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने के कारण ही अल्प वर्षा का सामना करना पड़ रहा है। उजमनी के साथ खेत पर पांच पौधों का रोपण करते हुए उन्हें बड़े करने का संकल्प भी लिया। इस मौके पर अभिभाषक कैलाश चौधरी, बाबूलाल परमार, गौरव वैरागी, वीरेंद्र पड़ियार, बद्रीलाल पाटीदार, परमार आदि उपस्थित थे।
14पीईटी-03सी-पेटलावद में उजमनी के साथ पौधारोपण भी किया।
14पीईटी-04डी- पेटलावद में खेत पर उजमनी मनाते हुए किसान परिवार।
तपस्वियों का बहुमान
पेटलावद। नईदुनिया न्यूज
जैन सोशल ग्रुप पेटलावद 'मैत्री' ने बाल तपस्वी सृष्टि संदीप पटवा की 9 उपवास की तपस्या का बहुमान शॉल तथा चांदी की सिक्के से उनके निवास स्थान पर जाकर किया। साथ ही ग्रुप के सभी सदस्यों ने संगीता प्रदीप लोढ़ा के मासक्षमण की तपस्या का बहुमान भी उनके निवास स्थान पर किया। ग्रुप के सदस्यों द्वारा चौबीसी और स्तवन के द्वारा सभी तपस्वी के तप का अनुमोदन किया गया। इस अवसर पर ग्रुप अध्यक्ष रत्नेश मोदी, सचिव नितेश मुथा, सह सचिव नवीन मुरार, झोन कोडिनेटर चेतन कटकानी, अभिनंदन कटकानी, अंकित कटकानी, संदीप पटवा, कीर्तिश चाणोदिया, डॉली मोदी, रीना मुथा, प्रिया चाणोदिया, पायल पटवा आदि सदस्यों ने तपस्वियों की अनुमोदना की।
14पीईटी-05 ई- 9 वर्षीय तपस्वी का सम्मान करते हुए सदस्य।