झाबुआ-पिटोल (नईदुनिया प्रतिनिधि)। इन दिनों गुजरात से सड़क के रास्ते बड़ी संख्या में मजदूर बसों से लौट रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रेनों में जगह नहीं होने के कारण उन्हें बसों का सहारा लेना पड़ रहा है। बसों में किराया भी अधिक देना पड़ता है। कुछ यात्रियों का कहना था कि वे लाकडाउन के डर से जा रहे हैं, स्थिति सामान्य होने पर वे वापस लौटेंगे। मजदूर सूरत, अहमदाबाद, बड़ौदा, मोरवी, बलसाड़ आदि शहरों से लौट रहे हैं। हालांकि जिले के मजदूरों का गुजरात की ओर प्रतिदिन जाना भी हो रहा है। झाबुआ शहर से गुजरात जाने वालों का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो जाता है।
पिछली कोरोना लहर में गए मजदूर लाकडाउन लगते ही गुजरात के कई क्षेत्रों में फंस गए थे। बसें व ट्रेनें बंद हो जाने से मजदूर अन्य वाहनों से मध्यप्रदेश की बार्डर तक पहुंचे थे और उसके बाद उन्हें यहां से बसों के माध्यम से भेजा गया था। कई मजदूर ऐसे भी थे जो अपने छोटे वाहनों से ही तो कुछ मजदूर पैदल ही बार्डर तक पहुंचे थे। इसी डर के कारण कई मजदूर समय रहते अपने घर पहुंच जाना चाहते हैं। हालांकि उनका कहना है कि गुजरात या देश में फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है।
बसों में हो रही यात्रा
गुजरात से सटी पिटोल बार्डर पर गुजरात की ओर से प्रतिदिन 30 से 40 बसें प्रतिदिन प्रदेश में आ रही हैं। इन बसों में सबसे अधिक उत्तरप्रदेश के यात्री सफर कर रहे हैं। यह सिलसिला सुबह से ही शुरू हो जाता है। घंटे-दो घंटे के अंतराल में बसें आती रहती हैं। दूसरी तरफ जिले से मजदूरों का गुजरात की ओर जाने का सिलसिला भी जारी है।
काम निपटा कर लौटेंगे
- उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी फारूख भाई का कहना है कि वे सूरत से कानपुर जा रहे हैं। पारिवारिक कार्यक्रम होने से उन्हें जाना पड़ रहा है। कार्यक्रम निपटाकर वे वापस लौटेंगे। ट्रेनों में जगह नहीं होने के कारण उन्हें बस से यात्रा करना पड़ रही है। बसों में ट्रेनों की अपेक्षा किराया अधिक देना पड़ रहा है, लेकिन जाना मजबूरी है इसलिए बसों का सहारा लेना पड़ रहा है।
- उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद निवासी उपेन्द्रसिंह का कहना है कि वे वैवाहिक कार्यक्रम में जा रहे हैं। बस में कई यात्री ऐसे भी हैं जो लाकडाउन के डर से जा रहे हैं। हालांकि फिलहाल गुजरात में ऐसी स्थिति नहीं है। कार्यक्रम होने के बाद वे वापस लौट आएंगे।
स्टेशन पर किसी तरह की नहीं हो रही कोई जांच
मेघनगर। नगर के आसपास के क्षेत्रों से रोजगार के लिए पलायन कर गए मजदूर तथा विभिन्ना कारीगर व छोटे-छोटे कारोबारियों का पुनः अपने गांव लौटने का सिलसिला जोर पकड़ रहा है। ये लोग पिछले वर्ष के लाकडाउन के बाद आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। इन लोगों ने जोखिम लेकर भी रोजगार के लिए मजबूरी में अपने गांव को छोड़कर अन्यत्र जाने का सिलसिला जारी रखा था, लेकिन विभिन्ना सीमावर्ती क्षेत्रों में जाने के बाद वहां की स्थिति जैसे कई उद्योग, खदान के बंद होने, अपने आपको असुरक्षित महसूस करने, पर्याप्त रोजगार नहीं होने आदि कारणों से वापस आने लगे।
इन श्रमिकों को अपने घरों तक पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब बढ़ते कोरोना संक्रमण के प्रभाव को देखकर आनन-फानन में वापसी का निर्णय लेकर अपने घर को लौट रहे हैं।
सोमवार को रेलवे स्टेशन पर उज्जैन-दाहोद मेमू एक्सप्रेस में सैकड़ों की संख्या में सवारियां मेघनगर रेलवे स्टेशन पर उतरीं। इस ट्रेन से दाहोद उतरकर बड़ौदा, अहमदाबाद, सूरत आदि स्थानों पर बस से यात्रा करने वाले लोग भी सैकड़ों की संख्या में इस ट्रेन में चढ़े। प्लेटफार्म नं 2 पर आने वाली इस ट्रेन से उतरने वाले यात्री बिना किसी जांच के सीधे ही नगर में प्रवेश कर गए। हालांकि ब्लाक मेडिकल आफिसर द्वारा जारी एक पत्र के माध्यम से चार कर्मचारियों की रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म पर थर्मल स्क्रीनिंग के लिए नियुक्ति हुई है, लेकिन मेमू ट्रेन से यात्री बिना किसी रोक-टोक के सीधे नगर में प्रवेश करते हुए बस तथा अन्य साधन द्वारा अपने गंतव्य स्थल की ओर रवाना हो गए।
काम बंद होने से लौटे
कोटा से अपने परिवार सहित आई ग्राम ककरादरा की कमलीबाई बारिया ने बताया कि कोटा में स्टोन (पत्थर) की खदानों में काम बंद होने से वे वापस अपने घरों को लौट आए हैं। कोटा से वे दूसरी ट्रेन में रतलाम आए तथा रतलाम से मेघनगर मेमू ट्रेन में सुबह में यहां उतरे।जोधपुर से वापस लौटे खालखंडवी के मुनिया ताहेड़ ने बताया कि कोरोना के चलते तथा पिछले लाकडाउन के कटु अनुभव के कारण वे समय रहते ही अपने परिवार सहित अपने घर की ओर लौट आए हैं। पिछले वर्ष उन्हें मई माह में कई किलोमीटर पैदल चलकर ही अपने घर लौटना पड़ा था। तब रास्ते में खाने-पीने की भी बहुत तकलीफ उठाना पड़ी थी। रोजगार बंद होने से अब यहां भी परेशानी बढ़ेगी।
वेतन काटा जाएगा
इस संबंध में मेघनगर बीएमओ ने बताया कि थर्मल स्क्रीनिंग के लिए नियुक्त कर्मचारी मौके पर नहीं उपस्थित हुए हैं तो उनका एक दिन का वेतन काट लिया जाएगा।
लाकडाउन खुलने के बाद भी जारी है सीमाओं पर पहरा
थांदला। लाकडाउन खुल जाने के बाद भी मध्यप्रदेश को संक्रमण से बचाने की कवायद में प्रशासन पूरी तरह सक्रिय नजर आ रहा है। नगर के दोनों सीमावर्ती राज्य राजस्थान व गुजरात बार्डर पर स्वास्थ्य विभाग, पुलिस व राजस्व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है जो मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश करने वाले हर नागरिक की स्क्रीनिंग कर उनके आने जाने का कारण आदि जानकारी ले रहे हैं। लाकडाउन खुलने के बाद सीमावर्ती राज्यों से आवागमन चालू है, लेकिन सभी राज्य अपनी-अपनी क्षेत्र की सुरक्षा कुछ इसी तरह से कर रहे हैं।