MP News: मनीष कुमार नाहटा, मेघनगर। होली और फसलों की कटाई होते ही श्रमिकों का पलायन पुनः शुरू हो गया है। रोजगार की तलाश में झाबुआ एवं आलीराजपुर जिले के आदिवासी श्रमिक बड़ी संख्या में मेघनगर रेलवे स्टेशन से पलायन कर रहे हैं। पलायन से एक ओर जहां गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं, वहीं नगर के बाजारों में भी वीरानी छा गई है।
मेघनगर रेलवे स्टेशन पर सुबह से देर रात तक विभिन्न अंचलों से आए आदिवासी श्रमिक बड़ी संख्या में यात्री गाड़ियों में चढ़ते देखे जा सकते हैं। मेघनगर से राजस्थान और गुजरात की ओर प्रस्थान करने वाली यात्री गाड़ियों में काम की तलाश में पलायन करने वाले मजदूरों के चेहरों पर बेरोजगारी का दर्द स्पष्ट दिखाई देता है। होली के बाद अब कोई बड़ा त्योहार भी नहीं है। वहीं खेत और खलिहान भी खाली हो चुके हैं। इसके कारण कई गांवों में कुछ घरों को छोड़कर ताले लग चुके हैं। बड़ी संख्या में लोग अपने घरों को खाली कर बुजुर्गों को छोड़कर पलायन कर चुके हैं।
आजादी के 75 वर्ष बाद भी स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण मजबूरी में गरीब मजदूरों को बड़ी संख्या में रोजगार की तलाश में अपना घर छोड़कर बाहर जाना पड़ता है। विडंबना यह है कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थायी रोजगार का अभाव बना हुआ है। इसके कारण प्रतिवर्ष बाहर जाने वाले मजदूरों की तादाद बढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय है। उल्लेखनीय है कि कोरोना के चलते लाकडाउन में आवागमन के सभी साधन बंद होने से यहां के श्रमिकों के सैकड़ों किलोमीटर दूर से पैदल चलकर अपने घर वापसी की तस्वीरों एवं खबरों ने पूरे देश के सामने रोजगार को लेकर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया था। पलायन से शिक्षा एवं स्वास्थ्य की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है। छोटे-छोटे बच्चे को काम की तलाश में अपने साथ ले जाने के कारण उनकी शिक्षा या तो अधूरी रह जाती है या शुरुआत ही नहीं हो पाती है। बाहर विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में कार्य करने के कारण इन मजदूरों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।