सीधी (नईदुनिया प्रतिनिधि)। घरेलू विधि अपनाकर जिले में कुपोषण को मिटाने सुपोषण दिवस अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर ग्रामीणजनों को जागरूक करने का काम कर रही हैं। बता दें कि सीधी जिले में कुपोषण को हराने के लिए शासन के दिशा निर्देशों का पालन किया ही जा रहा है तो वही गांव में मिलने वाले विटामिन से जुड़ी हुई सब्जियों, अनाज और फलों के बारे में भी बताया जा रहा है ताकि इस जंग को हर हाल में जीता जा सके।
एक सितंबर से चलाए गए इस अभियान में बातचीत के जरिए लोगों को समझाने की कोशिश की जा रही है। इस घरेलू विधि को अपनाने के लिए महिला बाल विकास विभाग इन्हें प्रेरित कर रहा है। स्थानीय खान-पान से जोड़ने की कोशिश रंग लाई है। जिसका नतीजा यह रहा है कि बीते 3 साल में कुपोषण हेल्थ फैमिली सर्वे अनुसार 2015 में अतिकम वजन के बधो 8.1 प्रतिशत थे अब इनका आंकड़ा 1.9 प्रतिशत पहुंच गया है।
कुपोषण को दूर करने के लिए शासन एवं प्रशासन स्तर पर पहल की जाती रही है। महिला बाल विकास द्वारा इन्हें समय-समय पर पोषण आहार उपलब्ध कराया जाता रहा तो वहीं वजन को लेकर सतर्क देखे गए। अवधेश सिंह जिला कार्यक्रम अधिकारी बताते हैं कि एक सर्वे के दौरान हमने देखा कि पौष्टिक आहार से यह आदिवासी परिवार खुद को धीरे-धीरे दूर कर रहा है दरअसल इन्हें इस आहार के बारे में जानकारी नहीं थी। ऐसे में इन्हें सब्जी, अनाज, फल आदि को लेकर जानकारी दी गई जो उनके आसपास मिलते हैं जिसे खाने से यह कुपोषण से दूर होंगे ही वहीं इनका पूरा परिवार हमेशा स्वस्थ रहेगा। बता दें कि जिले कुपोषण को मिटाने के लिए रवीन्द्र कुमार चौधरी कलेक्टर के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं।
अब यह फिर खाने लगे आदिवासीः आधुनिकता की दौड़ में यहां रहने वाले 42 ग्राम पंचायतों के आदिवासी परिवार कोदव, कुटकी, आंवला, मुनगा, बेर जैसी सब्जियों से दूर रहते थे। महिला बाल विकास की जन जागरूकता ने अब यह परिवार इन चीजों का सेवन करना शुरू कर दिया है।
इनका कहना
जिलेभर में कुपोषण को दूर करने शासन के निर्देशानुसार आंगनबाड़ी केंद्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा अभियान शुरू किया गया है। मॉनिटरिंग जा रहा है। ग्रामीणों को उनके आसपास मिलने वाले विटामिन से संबंधित फल और सब्जियों के बारे में भी बताया जा रहा है ताकि वह इसे अपनाकर कुपोषण से छुटकारा पा सकें।
अवधेश सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास सीधी।